सोमवार, 31 अगस्त 2020

वर्तनी-दोष-2

 https://schoolmeinhindi.blogspot.com/2020/08/1_24.html


वर्तनी-दोष एक के बाद यह वर्तनी दोष का दूसरा भाग है। विद्यार्थियों की उत्तर-पुस्तिका जांच करते हुए बहुत से ऐसे शब्द मिलते हैं जिनका स्वरूप बिगड़ा हुआ होता है। वर्तनी संबंधी ऐसे ही दोषपूर्ण शब्दों को विद्यार्थियों की उत्तर-पुस्तिका से चुनकर उनका सही रूप यहां दिया जा रहा है। थोड़ा सचेत होकर इन शब्दों का अभ्यास किया जाए तो वर्तनी संबंधी इन दोषों से बचा जा सकता है।

लिखी जाती है

समर्थन 

परीक्षा 

कहा है कि

 लगता था कि

 अशांति

 सूर्योदय

 दूसरे

 धीमे-धीमे

आत्मविश्वास

 मेहनत

 ऐसी

 कविता

 भूलकर

 निम्नलिखित

 निकली

 प्रतीत

 बल्कि

 कुश्ती

 दृश्य

 विभीषिका

 पीड़ित

 महामारी

 परंतु

 रुदन

 प्रेरित

 अध्यापक

 शीर्षक

 जूझ

 व्यक्त

 संघर्ष

 मुख्य

 जिस प्रकार

 संबंध

 प्रकाशित हुआ था

 हमेशा

 भुगतान

 निजी जीवन

 आपसी

 अधिकार

 भुलाकर

 भूलकर

 उसमें

 क्योंकि

 गलियों में

 अंधविश्वास

 इसलिए

 इसीलिए

 उत्तेजित

 उत्तेजक

 प्रेरणा

 परेशानी

 परेशानियों

 सार्थक

 सार्थकता

 चुनौती

 सूझबूझ

 बखूबी

 चढ़ाता

 जीवन

 जिंदगी

 पीड़ित

 सजीव

 व्यक्ति

 बीमार

 बीमारियों

 पश्चाताप

 सुरीली

 आदि

 समाप्त

 अलगाववाद

 विशेष

 अभिव्यक्ति

 शब्दों

 चाहिए

 तरीके

 व्यापक

 अतीत

 वर्तमान

 शरीर

 प्राणियों

 मृत्यु

 पड़ोसियों

 चुनौती

 विश्वसनीय

 स्थापित

 जुझारूपन

 दाखिला

 विद्यालय

 स्कूल

 पर्दाफाश

 समाप्त

 अभिव्यक्ति

 चाहिए

 बिना भेदभाव

 साबित 

गुरुवार, 27 अगस्त 2020

आओ कहें कहानी

 कहानी की रचना-प्रक्रिया


कहानी की बात आते ही हमें बचपन की बात सबसे पहले याद आती है। ऐसा कौन होगा जिसे कहानी सुनना पसंद ना हो। नानी-दादी के द्वारा सुनाई गई कहानी तो बच्चों के लिए यादगार ही हुआ करती है।

बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी कहानी सुनने और सुनाने में रूचि होती है। क्या आप जानते हैं कि कहानी सुनने और सुनाने की यह प्रथा बहुत पहले से चली आ रही है? अतः हम कह सकते हैं कि कहानी कहने का इतिहास बहुत पुराना है।


लेकिन जब हम कहानी-लेखन की बात करते हैं, तो हम पाते हैं कि कहानी लिखना बहुत बाद में आरंभ हुआ। आरंभिक दौर में कहानी का उद्देश्य शिक्षा देना, व्यवहार की बात बताना, धर्म का प्रचार करना तथा मनोरंजन करना आदि रहा है। लेकिन समय बीतने के साथ-साथ कहानी लेखन के प्रारूप, विषय तथा शिल्प में बहुत से बदलाव हुए हैं।

जब हम कहानी-लेखन की प्रक्रिया पर बात करते हैं तो हम देखते हैं कि किसी कहानी को लिखने के लिए हमें किन बातों का ध्यान रखना सबसे आवश्यक है। हमें यह भी ध्यान रखना होता है कि एक कहानी में वह कौन से तत्त्व होते हैं जो उसे रोचक एवं पठनीय बनाते हैं।


कहानी लेखन के क्रम में सबसे प्रमुख तत्व जो हम पाते हैं, वह है- कहानी का 'कहानीपन'। कहानी का संबंध पढ़ने से अधिक कहने से है। जब से हमने कहानी सुनने और कहने की बजाए लिखने और पढ़ने लगे, तब से कहानी में इस 'कहानीपन' का ह्रास हुआ है। अब कहानी लेखक के सामने यह बड़ी चुनौती है कि कैसे वह इस 'कहानीपन' को अपनी कहानी में बचाए और बनाए रखें।


कहानी-लेखन में दूसरा जो प्रमुख तत्त्व है, वह है- कहानी का उद्देश्य। कहानी-लेखन आरंभ करने से पहले लेखक के सामने कहानी लिखने के लिए एक निश्चित लक्ष्य होना बहुत आवश्यक है अन्यथा कहानी लक्ष्यहीन हो जाएगी तथा उबाऊ बन जाएगी।


कहानी-लेखन में तीसरा जो प्रमुख तत्त्व उभरकर आता है, वह है- कथानक अथवा कथावस्तु। किसी भी कहानी की शुरुआत करने से पहले लेखक के पास उस कहानी की एक कथावस्तु स्पष्ट होनी चाहिए। लेखक के सामने यह बिल्कुल साफ होना चाहिए कि वह जो कहानी लिखने जा रहा है उसमें उसे कहना क्या है। कथावस्तु का विस्तार ही कहानी का विकास है। लेखक अपनी सुविधा के लिए कथावस्तु को आरंभ, मध्य और अंत - इन तीन हिस्सों में बांट सकता है। 


कथावस्तु में द्वंद्व के तत्वों का होना भी बहुत आवश्यक है। इससे कथावस्तु का विकास होता है तथा पूरी कहानी में एक रोचकता बनी रहती है।


कथानक अथवा कथावस्तु को निश्चित कर लेने के बाद लेखक को उस कहानी के लिए देशकाल, स्थान और परिवेश का चुनाव करना भी आवश्यक होता है। कथावस्तु किस काल, परिवेश और स्थान से संबंधित है, यह लेखक के सामने स्पष्ट होना चाहिए।


पात्र या चरित्र कहानी-लेखन का एक और महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। लेखक को उसकी कहानी की कथावस्तु के आधार पर अलग-अलग पात्रों का चुनाव करना होता है, जिसके द्वारा कहानी का विकास किया जाता है। कहानी में पात्रों का चुनाव करते समय लेखक को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। कहानी के पात्र कथावस्तु, उद्देश्य, परिस्थिति एवं समय के अनुकूल होने चाहिए। आपने देखा और सुना होगा कि कई कहानियों के पात्र इतने सफल और लोकप्रिय हो जाते हैं कि बहुत समय तक पाठकों के मन में अपनी जगह बना लिया करते हैं। प्रेमचंद की कहानियों की बात करें तो 'ईदगाह' कहानी का 'हामिद', 'पूस की रात' कहानी का 'हल्कू', 'कफन' कहानी का 'धीसू' और 'माधव', 'पंच परमेश्वर' कहानी के 'अलगू' और 'जुम्मन' ऐसे ही अमर पात्र हैं।


कहानी-लेखन का एक और प्रमुख तत्त्व है- संवाद। कहानी में संवाद का बहुत महत्त्व है। कहानी-लेखन के क्रम में उचित समय और स्थान पर पात्रों के बीच संवाद स्थापित कराया जाना बहुत आवश्यक है। लेखक को यह ध्यान रखना चाहिए कि कहानी महज वर्णन मात्र बनकर न रह जाए। संवाद समय, परिस्थिति और पात्र के अनुकूल होना चाहिए। संवाद लिखते समय अनुकूल भाषा का बहुत सावधानी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए।


कहानी लिखने की पूरी प्रक्रिया में लेखक को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उसकी कहानी में एक गतिशीलता हो, भाषा में प्रवाह हो, जिससे पाठक को बांधकर रख सकने की क्षमता कहानी में उत्पन्न हो। लेखक को भाषा के बनावटीपन तथा क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। इससे कहानी में दुरूहता आ जाती है तथा उसकी पठनीयता समाप्त हो जाती है।




बुधवार, 26 अगस्त 2020

औपचारिक पत्र-लेखन प्रारूप

प्रश्न- कोरोना वायरस महामारी के इस समय में अपने इलाके में स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु स्वास्थ्य विभाग के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को एक पत्र लिखें।


परीक्षा भवन

कोलकाता।

26 अगस्त 2020


सेवा में,

मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी

स्वास्थ्य विभाग

प. बंगाल सरकार।


विषय- स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करवाने हेतु आवेदन पत्र।


महोदय,

मैं पश्चिम बंगाल राज्य के उत्तर 24 परगना जिले के दमदम इलाके का एक निवासी हूं। मैं अपने इलाके में स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता के संबंध में आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। वैसे तो स्वास्थ्य सुविधाओं की सामान्य व्यवस्था सरकार के द्वारा की गई है, किंतु मैं यह बताना चाहता हूं कि कोरोना वायरस की इस महामारी के समय में ये व्यवस्थाएं अपर्याप्त लग रही हैं। इस वजह से यहां के सामान्य नागरिकों को बहुत परेशानी हो रही है। विशेषकर बुजुर्गों को अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस भयावह महामारी के समय में स्वास्थ्य सुविधाओं की सहज उपलब्धता बहुत आवश्यक है, जिससे सामान्य लोगों की स्वास्थ्य रक्षा हो सके तथा उन्हें इस महामारी के खतरे से समय पर बचाया जा सके।

अतः आपसे अनुरोध है कि मेरे इस पत्र पर आप ध्यान देंगे तथा सामान्य लोगों के हित में जल्द से जल्द ज़रूरी कदम उठाएंगे। सधन्यवाद।


भवदीय

अ ब स 

सोमवार, 24 अगस्त 2020

वर्तनी-दोष-1

 एक शिक्षक के रूप में विद्यार्थियों की हिंदी की उत्तर-पुस्तिका जांच (नोटबुक चेकिंग) करते हुए अनेक प्रकार की अशुद्धियां पाता हूं। इन अशुद्धियों की वजह से उनकी भाषा व अभिव्यक्ति प्रभावी तथा आकर्षक नहीं बन पाती है। अनेक प्रकार की अशुद्धियों में सबसे अधिक गलतियां बच्चे वर्तनी में करते हैं। वर्तनी-दोष के कारण शब्द की बनावट गलत हो जाया करती है। भाषा की उत्तर-पुस्तिकाओं में इन गलतियों की अपेक्षा नहीं की जाती है।

अतः विद्यार्थियों की उत्तर-पुस्तिका (नोटबुक) से ही यहां कुछ शब्दों को लिया जा रहा है, जिसे अक्सर विद्यार्थी गलत लिखा करते हैं। निरंतर व सचेत अभ्यास के द्वारा इन गलतियों को बहुत आसानी से दूर किया जा सकता है।


में

मैं

मैंने

नहीं

उन्हें

उन्होंने

किन्हीं

किन्हें

जिन्हें

जिन्होंने

क्योंकि

उचित

तकनीकी

चिकित्सा

मुहिम

प्रामाणिकता

अत्यधिक

पोषित

अनिवार्य

दृश्य

ग्रामीण

निर्माता

ठीक

अधूरे

भूमि

दूसरे

सभापति

महोदय

कोशिश

महसूस

इत्यादि

जीवन

नीति

इसलिए

परिस्थिति

गतिशील

सहूलियत

ग्राहकों

माहौल

आत्मविश्वास

विश्वसनीय

विश्वसनीयता

मीडिया

स्तरीय

प्रत्यक्षदर्शी

केंद्रीय

केंद्रित

शुद्धि

प्रसारण

प्रयुक्त

भूमिका

सांस्कृतिक

प्रस्तुत

व्यक्तिगत

सामंजस्य

विदूषक

ईमानदारी

प्रशंसा

विस्थापन

जन्मभूमि

सीमाएं

विभाजन

इंगित 

हृदय

सुंदरता

वाह्य

परिवेश

सौंदर्य

स्वाभाविक

स्वभाव

आर्थिक विकास

ज़िम्मेदारियों 

परंपराओं

सिद्धांतों

संस्कारों

संयुक्त परिवार

इच्छाएं

गृहस्थ

मृत्यु

शुरू में

आखिर में

वाक्यांश

कमियां

अपूर्णता 

व्यक्तित्व

महत्त्वपूर्ण

मध्यमवर्गीय परिवार

प्रतिनिधि

निम्नलिखित

मानवीय मूल्य

दुनियादारी

अनुपयुक्त

व्यवहार

व्यावहारिक

सहानुभूति


(उत्तर-पुस्तिका की जांच जारी है। अतः शब्दों की अगली सूची अगले पोस्ट में)

https://schoolmeinhindi.blogspot.com/2020/08/2_31.html

मंगलवार, 18 अगस्त 2020

जनसंचार माध्यम-2


भाग -1

https://schoolmeinhindi.blogspot.com/2020/08/1.html




 1- समाचार किसे कहते हैं?

वे सूचनाएं जो समसामयिक घटनाओं, समस्याओं और विचारों पर आधारित होते हैं, जिन्हें जानने की अधिक से अधिक लोगों में रुचि होती है तथा जिनका अधिक से अधिक लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है, समाचार कहलाते हैं।


2- पत्रकारिता के कुछ प्रमुख प्रकार बताएं।


पत्रकारिता के कुछ प्रमुख प्रकार हैं:-

खोजपरक पत्रकारिता, विशेषीकृत पत्रकारिता, वॉचडॉग पत्रकारिता, एडवोकेसी पत्रकारिता, वैकल्पिक पत्रकारिता।


3- खोजपरक पत्रकारिता किसे कहते हैं?


खोजपरक पत्रकारिता से आशय ऐसी पत्रकारिता से है जिसमें गहराई से छानबीन करके ऐसे तथ्यों और सूचनाओं को सामने लाने की कोशिश की जाती है जिन्हें दबाने या छुपाने का प्रयास किया जा रहा हो।


4- विशेषीकृत पत्रकारिता से क्या आशय है?


जिन समाचारों को प्रस्तुत करने में पत्रकार को किसी विशेष क्षेत्र की विशेषज्ञता हासिल करना अनिवार्य होता है।

पत्रकारिता में विषय के हिसाब से विशेषज्ञता के साथ प्रमुख क्षेत्र हैं:

संसदीय पत्रकारिता 

न्यायालय पत्रकारिता 

आर्थिक पत्रकारिता 

खेल पत्रकारिता 

विज्ञान और विकास पत्रकारिता 

अपराध पत्रकारिता 

फैशन और फिल्म पत्रकारिता।


5- वॉचडॉग पत्रकारिता किसे कहते हैं?


लोकतंत्र में मीडिया का मुख्य उत्तरदायित्व सरकार के कामकाज पर निगाह रखना है और कहीं भी कोई गड़बड़ी हो तो उसका पर्दाफाश करना है। इसे वॉचडॉग पत्रकारिता कहा जाता है।


6- एडवोकेसी पत्रकारिता क्या है?


ऐसे अनेक समाचार संगठन होते हैं जो किसी विचारधारा या किसी खास उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ते हैं और उस विचारधारा के पक्ष में जनमत बनाने के लिए लगातार अभियान चलाते हैं। इस तरह की पत्रकारिता को एडवोकेसी पत्रकारिता कहा जाता है।


7- वैकल्पिक पत्रकारिता से क्या तात्पर्य है?


जो मीडिया स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाने और उसके अनुकूल सोच को अभिव्यक्त करता है, उसे वैकल्पिक पत्रकारिता कहा जाता है। आमतौर पर इस तरह की मीडिया को सरकार और बड़ी पूंजी का समर्थन हासिल नहीं होता है।


8- पीत पत्रकारिता से आप क्या समझते हैं?


लोगों को लुभाने के लिए झूठी अफ़वाहों, आरोप-प्रत्यारोप, प्रेमसंबंधों आदि से संबंधित सनसनीखेज पत्रकारिता को पीत पत्रकारिता कहते हैं।


9- पेज-थ्री पत्रकारिता किसे कहते हैं?


ऐसी पत्रकारिता जिसमें फ़ैशन, अमीरों की पार्टियों, महफ़िलों और जानेमाने लोगों के निजी जीवन के बारे में बताया जाता है, उसे पेज-थ्री पत्रकारिता कहते हैं।


10- प्रिंट माध्यम की क्या विशेषता है?


प्रिंट माध्यम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि छपे हुए शब्दों में स्थायित्व होता है। इसे हम आराम से तथा धीरे-धीरे पढ़ सकते हैं एवं पढ़ने के क्रम में सोच सकते हैं। इसे हम लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं तथा इसे संदर्भ की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।


11- संपादक के दायित्व क्या हैं?


समाचार-पत्र में प्रकाशन के लिए आने वाली सामग्री से गलतियों और अशुद्धियों को हटाकर उसे प्रकाशन योग्य बनाना संपादक का एक मुख्य कार्य है। समसामयिक घटनाओं पर समाचार-पत्र की राय प्रकट करना भी संपादक का दायित्व है।


12- समाचार-लेखन के छः ककारों के नाम लिखिए।


समाचार-लेखन के छः ककार हैं- क्या, कौन, कहां, कब, क्यों और कैसे।


13- उल्टा पिरामिड-शैली से आप क्या समझते हैं?


उल्टा पिरामिड-शैली में समाचार के सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य को सबसे पहले लिखा जाता है और उसके बाद घटते हुए महत्त्वक्रम में अन्य सूचनाओं को लिखा जाता है। 

उल्टा पिरामिड-शैली के तहत समाचार को तीन हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है: इंट्रो, बॉडी और समापन।


14- रेडियो समाचार-लेखन में किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए?


रेडियो समाचार लेखन में निम्न बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए:-

क) समाचार कॉपी ऐसे तैयार की जानी चाहिए कि उसे पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं हो।

ख) प्रसारण के लिए तैयार की जा रही समाचार कॉपी को ट्रिपल स्पेस में टाइप किया जाना चाहिए। कॉपी के दोनों ओर पर्याप्त हाशिया छोड़ा जाना चाहिए।

ग) एक लाइन में अधिकतम 12-13 शब्द होने चाहिए। पृष्ठ के आखिर में कोई लाइन अधूरी नहीं होनी चाहिए।

घ) समाचार कॉपी में ऐसे जटिल और उच्चारण में कठिन शब्द, संक्षिप्त अक्षर या अंक आदि नहीं होने चाहिए, जिन्हें पढ़ने में असुविधा हो।

ड.) रेडियो समाचार में अत्यधिक आंकड़ों और संख्या का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।


15- फ़्लैश या ब्रेकिंग न्यूज़ से क्या समझते हैं?


वह बड़ी और महत्त्वपूर्ण खबर जिसे कम से कम शब्दों में सबसे पहले तत्काल दर्शकों तक पहुंचाया जाता है, उसे ब्रेकिंग न्यूज़ कहते हैं।


16- ड्राई एंकर किसे कहते हैं?


जब एंकर खबर से संबंधित किसी दृश्य को दिखाए बिना खबर के बारे में दर्शकों को सीधे-सीधे बताता है कि कहां, क्या, कब और कैसे हुआ, इसे ड्राई एंकर कहा जाता है।


17- फ़ोन-इन क्या है?


जब एंकर रिपोर्टर से फ़ोन पर बात करके सूचनाएं दर्शकों तक पहुंचाता है, इसे फ़ोन-इन कहते हैं। इसमें रिपोर्टर घटनास्थल पर मौजूद होता है और वहां से दर्शकों को फ़ोन के द्वारा जानकारी देता है।


18- एंकर-विजुअल क्या है?


जब घटनास्थल से खबर से संबंधित दृश्य प्राप्त हो जाते हैं, तब दर्शकों को खबर के साथ-साथ उस दृश्य को भी दिखाया जाता है। इसे एंकर विजुअल कहा जाता है। इससे समाचार की प्रामाणिकता बढ़ती है।


19- एंकर बाइट किसे कहते हैं?


किसी घटना की सूचना देने और उसके दृश्य दिखाने के साथ ही उस घटना के बारे में प्रत्यक्षदर्शियों के कथन को दिखाकर समाचार को प्रामाणिक बनाया जाता है। इसे एंकर बाइट कहते हैं।


20- एंकर पैकेज से आप क्या समझते हैं?


पैकेज किसी भी खबर को संपूर्णता के साथ पेश करने का एक माध्यम है। इसमें संबंधित घटना के दृश्य, लोगों के कथन तथा ग्राफिक्स के द्वारा दर्शकों तक सूचनाएं पहुंचाई जाती है। इसे एंकर पैकेज कहते हैं।



मंगलवार, 11 अगस्त 2020

जनसंचार माध्यम-1


 1- संचार से आप क्या समझते हैं?

दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच सूचनाओं, विचारों और भावनाओं का आदान-प्रदान संचार कहलाता है।


2- संचार के कुछ प्रकार बताएं?


मौखिक संचार, अमौखिक संचार। 

अंतःवैयक्तिक संचार, अंतरवैयक्तिक संचार, समूह संचार, जनसंचार।


3- जनसंचार किसे कहते हैं?


जब हम लोगों के समूह के साथ सीधे संवाद की जगह किसी तकनीकी माध्यम के द्वारा समाज के एक विशाल वर्ग से संवाद करते हैं तो इसे जनसंचार कहते हैं।


4- जनसंचार के माध्यम कौन-कौन से हैं?


समाचारपत्र- पत्रिकाएं, रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा, इंटरनेट।


5- जनसंचार के कार्य क्या हैं?


सूचना देना, जनता को शिक्षित करना, मनोरंजन करना, एजेंडा तय करना, सरकार के कामकाज पर निगरानी रखना, विचार विमर्श के लिए मंच उपलब्ध कराना।


6- एनकोडिंग क्या है?


भाषा, चिन्हों एवं प्रतीकों के माध्यम से मौखिक या लिखित रूप में जब संदेश भेजते हैं तो इसे एनकोडिंग कहा जाता है।


7- डीकोडिंग क्या है?


प्राप्तकर्ता भाषा, चिन्ह एवं प्रतीकों में निहित संदेश एवं उसके अर्थ को समझने की कोशिश करता है। इसे डीकोडिंग कहा जाता है।


8- फ़ीडबैक क्या है?


संचार-प्रक्रिया में प्राप्तकर्ता को जब संदेश प्राप्त होता है तो वह उसके अनुसार अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। यह प्रतिक्रिया फ़ीडबैक कहलाता है। 


9- लाइव क्या है?


किसी कार्यक्रम या घटना का वास्तविक समय में सीधा प्रसारण 'लाइव' कहलाता है।


10- भारत का पहला समाचार-पत्र कौन-सा है? इसकी शुरुआत कब और कहां से हुई थी?


भारत का पहला समाचार-पत्र 'बंगाल गज़ट' है। 1780 में जेम्स ऑगस्ट हिकी ने कोलकाता से इसकी शुरुआत की थी।


11- हिंदी का पहला समाचार-पत्र कौन सा है? इसकी शुरुआत कब और कहां से हुई थी तथा इसके संपादक कौन थे?


हिंदी का पहला समाचार-पत्र 'उदंत मार्तंड' है। इसकी शुरुआत 1826 में कोलकाता से हुई थी। इसके संपादक पंडित जुगल किशोर शुक्ल थे। यह एक साप्ताहिक पत्र था।


12- हिंदी का पहला दैनिक समाचार-पत्र कौन-सा है?


हिंदी का पहला दैनिक समाचार-पत्र 'समाचार सुधावर्षण' है। यह कोलकाता से 1854 में प्रकाशित हुआ था। इसके संपादक श्यामसुंदर सेन थे।


13- भारत की आजादी के पूर्व प्रकाशित कुछ समाचारपत्र-पत्रिकाओं एवं उनके संपादक के नाम लिखिए।


कविवचन सुधा, बालाबोधिनी : भारतेंदु हरिश्चंद्र

हिंदी प्रदीप : बालकृष्ण भट्ट 

भारत मित्र : बालमुकुंद गुप्त 

ब्राह्मण : प्रताप नारायण मिश्र 

सरस्वती : महावीर प्रसाद द्विवेदी 

प्रताप : गणेश शंकर विद्यार्थी 

कर्मवीर : माखनलाल चतुर्वेदी 

मतवाला : सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' 

हंस : प्रेमचंद


14- भारत की आजादी के बाद प्रकाशित हिंदी की कुछ पत्रिकाओं एवं उनके संपादक के नाम लिखिए।


पहल : ज्ञानरंजन 

तद्भव :अखिलेश 

वागर्थ : प्रभाकर श्रोत्रिय 

कथाक्रम : शैलेंद्र सागर 

नया ज्ञानोदय : रवीन्द्र कालिया 

कथादेश : हरिनारायण 

पूर्वाग्रह : अशोक बाजपेयी

कथन : रमेश उपाध्याय


15- रेडियो का आविष्कार किसने और कब किया?


रेडियो का आविष्कार 1895 में इटली के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर जी. मार्कोनी ने किया।


16- ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना कब हुई?


ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना 1936 में हुई।


17- आज़ादी के समय तक देश में कितने रेडियो स्टेशन खुल चुके थे?


आज़ादी के समय तक देश में कुल 9 रेडियो स्टेशन खुल चुके थे- लखनऊ, दिल्ली, बंबई (मुंबई), कलकत्ता (कोलकाता), मद्रास (चैन्नई), तिरुचिरापल्ली, ढाका, लाहौर और पेशावर। इनमें से तीन रेडियो स्टेशन भारत-विभाजन के बाद पाकिस्तान के हिस्से में चले गए।


18- भारत में एफएम रेडियो की शुरुआत कब हुई?


भारत में एफएम रेडियो की शुरुआत 1993 में हुई।


19- आकाशवाणी और दूरदर्शन को केंद्र सरकार के सीधे नियंत्रण से निकालकर प्रसार भारती को कब सौंपा गया?


1997 में।


20- भारत में टेलीविज़न की शुरुआत कब हुई थी?


15 सितंबर 1959 को यूनेस्को की एक शैक्षिक परियोजना के तहत भारत में टेलीविज़न की शुरुआत हुई थी।


21- भारत में टेलीविज़न सेवा का विधिवत आरंभ कब से हुआ?


15 अगस्त 1965 से भारत में टेलीविज़न सेवा का विधिवत आरंभ हुआ।


22- किस वर्ष तक भारत में टेलीविज़न सेवा आकाशवाणी का हिस्सा थी?


1976 तक टेलीविज़न सेवा आकाशवाणी का हिस्सा थी। 1 अप्रैल 1976 से इसे अलग कर दिया गया। इसे दूरदर्शन नाम दिया गया।


23- पी सी जोशी रिपोर्ट क्या है? इसके बारे में बताएं।


1980 में प्रोफेसर पी सी जोशी की अध्यक्षता में दूरदर्शन के कार्यक्रमों की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक समिति गठित की गई थी। जोशी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है - हमारे जैसे समाज में जहां पुराने मूल्य टूट रहे हों और नए न बन रहे हों, वहां दूरदर्शन बड़ी भूमिका निभाते हुए जनतंत्र को मज़बूत बना सकता है।


24- सिनेमा के आविष्कार का श्रेय किसे जाता है?


सिनेमा के आविष्कार का श्रेय थॉमस अल्वा एडिसन को जाता है।


25- पहली फ़िल्म कब और कहां बनी? इसका क्या नाम था?


पहली फ़िल्म 1894 में फ्रांस में बनी। उसका नाम था- 'द अराइवल ऑफ ट्रेन'।


26- भारत में पहली फ़िल्म कौन-सी बनी थी? यह कब बनी थी?


भारत में बनी पहली फ़िल्म थी- 'राजा हरिश्चंद्र'। इसे दादा साहेब फ़ाल्के ने 1913 में बनाया था। यह एक मूक फ़िल्म थी।


27- भारतीय फ़िल्मों का जनक किसे कहा जाता है?


भारतीय फ़िल्मों का जनक दादा साहेब फ़ाल्के को कहा जाता है।


28- भारत में बनी पहली बोलती फ़िल्म कौन-सी थी? इसे कब बनाया गया था?


भारत में बनी पहली बोलती फ़िल्म थी- 'आलम आरा'। इसे 1931 में बनाया गया था।



भाग- २


https://schoolmeinhindi.blogspot.com/2020/08/2.html





बुधवार, 5 अगस्त 2020

हिंदी की अशुद्धियां कैसे दूर करें

हिंदी की बात करते ही अशुद्धियों की बात ही जाती है। स्कूल में अधिकतर बच्चे इन अशुद्धियों के शिकार होते हैं। कक्षा-कार्य गृह-कार्य की नोटबुक हो अथवा परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं, सभी जगह अशुद्धियों की भरमार देखी जाती है। कई बार ऐसा होता है कि बच्चे सही उत्तर जानते हुए भी उसे ठीक तरह से लिख नहीं पाते। उनके उत्तर-लेखन में कई तरह की अशुद्धियां रह जाती हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि उन्हें मूल्यांकन में कम अंक भी दिए जाते हैं तथा वे प्रोत्साहन से भी वंचित रह जाते हैं।

जब हम इन अशुद्धियों की बात करते हैं तो पहला सवाल यह उठता है कि क्या आप अपनी इन अशुद्धियों से परेशान हैं? क्या आप अपनी इन अशुद्धियों को दूर करना चाहते हैं? क्या आपके मन में बिना गलती किए अच्छी हिंदी लिखने की इच्छा होती है? यदि इसका उत्तर हां है, तो नीचे लिखी गई बातों को ध्यान से पढ़ें तथा बताए गए नियमों का पालन अभ्यास करें:-

 

हिंदी की कोई भी अच्छी पुस्तक प्रतिदिन पढ़ने की आदत डालें। इसकी शुरुआत आप अपनी पाठ्य-पुस्तक से कर सकते हैं। पुस्तक पढ़ते समय सचेत रहें तथा शब्दों को पढ़ते हुए उसकी बनावट को ध्यान से देखें। जो शब्द आपके लिए नए हों अथवा कठिन हों, उसे रेखांकित करें तथा उसे याद रखें। संभव हो तो उन शब्दों की एक सूची बना लें।

 पुस्तक पढ़ते समय वाक्य-रचना पर भी ध्यान दें। इस बात को ध्यान से देखें और समझें कि किसी बात को कहने के लिए किस तरह से वाक्य-रचना की जाती है। आपको अपनी बात कहने तथा लिखने के लिए इन वाक्यों से सहायता लेनी चाहिए।

 प्रतिदिन पुस्तक से देखकर कम-से-कम 10 वाक्य नोटबुक में लिखें। इससे आपके लेखन में भी सुधार आएगा तथा अशुद्धियां भी दूर होंगी।

इसके अतिरिक्त आप श्रुतलेख का अभ्यास प्रतिदिन करें। श्रुतलेख का अभ्यास आप दो तरह से कर सकते हैं। शब्द-लेखन अभ्यास तथा अनुच्छेद-लेखन अभ्यास। श्रुतलेखन अभ्यास के लिए आप घर में किसी सदस्य की सहायता ले सकते हैं। उनसे शब्द अथवा अनुच्छेद पढ़ने के लिए कहिए, आप सुनकर उसे अपनी नोटबुक में लिखिए। लिख लेने के बाद आप स्वयं पुस्तक से उसका मिलान कीजिए तथा अपनी गलतियों को रेखांकित कीजिए। गलत लिखे गए शब्दों को पुस्तक से देखकर ठीक कीजिए तथा उसे याद रखिए।

 सही शब्द तथा वाक्य-रचना के साथ अपनी अभिव्यक्ति-क्षमता का विकास कीजिए। इसके लिए आपको प्रतिदिन अपने शब्दों में कुछ लिखने की आदत डालनी चाहिए। इसकी शुरुआत आप पढ़े हुए पाठ के प्रश्नोत्तर लेखन से कर सकते हैं।

 अपनी अभिव्यक्ति क्षमता के विकास के लिए आप प्रतिदिन डायरी लेखन की शुरुआत कर सकते हैं। आप किसी डायरी में हर दिन के अपने अनुभवों को लिखना शुरू करें।

 अनौपचारिक पत्र-लेखन अभिव्यक्ति-क्षमता के विकास के लिए एक अच्छा माध्यम है। आप अपने परिवार के किसी सदस्य, रिश्तेदार अथवा मित्र को पत्र लिखकर अभ्यास कर सकते हैं।

 निबंध को गद्य की कसौटी कहा जाता है। अतः भाषा और अभिव्यक्ति-क्षमता के विकास के लिए निबंध-लेखन का अभ्यास बहुत अच्छा माना जाता है। आप अलग-अलग विषयों के बारे में जानकारी इकट्ठा करके निबंध-लेखन का अभ्यास कर सकते हैं। इस अभ्यास से आपको परीक्षा में तथा अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में भी निबंध लिखने में सहूलियत होगी।

 इसके अतिरिक्त संवाद-लेखन, कविता-लेखन, कहानी-लेखन, समाचार-लेखन आदि माध्यमों का प्रयोग अपनी रुचि के अनुसार भाषा अभिव्यक्ति-क्षमता को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं।

अतः भाषा की शुद्धता तथा अभिव्यक्ति-क्षमता के विकास के लिए प्रतिदिन सचेत होकर पुस्तक पढ़ने की आदत डालना, श्रुतलेख के द्वारा शब्द या वाक्य-लेखन अभ्यास करना तथा रचनात्मक-लेखन करना आवश्यक है।


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