कथा शब्द से आप सब भली-भांति परिचित होंगे। कथा का अर्थ है- कहानी। कहानी सुनना हम सबको बचपन से ही अच्छा लगता रहा है। दादी-नानी के द्वारा बचपन में सुनाई गई कहानियां तो बच्चों को याद ही रहती हैं क्योंकि यह बहुत मज़ेदार हुआ करती हैं।
हम जब कहानी सुनते हैं तो उससे बंध जाते हैं और उसके आगे की घटना जानने के लिए तब तक उत्सुक रहते हैं और जिज्ञासा प्रकट करते हैं, जब तक कि हमें पूरी कहानी न सुना दी जाए।
एक अच्छी कहानी उसे ही कही जाती है जो हमें बांधकर रख सके, जो हमारे भीतर जिज्ञासा प्रकट कर सके, जो हमारे भीतर उत्सुकता जगा सके और अंत तक सुनने के लिए रोचकता बनाए रख सके। इसे ही कहानीपन कहा जाता है।
हम जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, कहानी सुनने के साथ-साथ पाठ्यक्रमों में तथा कहानी की अन्य पुस्तकों के माध्यम से कई कहानियां स्वयं भी पढ़ते हैं। बहुत-सी कहानियों को पढ़ने के बाद भी बहुत दिनों तक हमें वही कहानी याद रहती है जिसमें रोचकता होती हैं। आप सबने कई कहानियां ऐसी भी पढ़ी होंगी, जिससे हमें नैतिक शिक्षा मिलती है। रोचक तरीके से लिखी गई शिक्षाप्रद कहानियां हमें बहुत कुछ सिखा जाती हैं।
कहानी में रोचकता के साथ-साथ उसका शीर्षक भी बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। कई कहानियां तो ऐसी होती हैं जिनके शीर्षक ही हमें अपनी ओर आकर्षित करते हैं और पढ़ने को बाध्य करते हैं।
इसके बाद कहानी में पात्र का स्थान आता है। कहानी लेखन के समय पात्रों का चुनाव बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए। कई कहानियां हम ऐसी पढ़ते हैं, जिनके पात्र सदा के लिए अमर हो चुके हैं, उन्हें कोई भूल नहीं सकता।
कहानी का अंत भी बहुत आकर्षक, प्रभावकारी तथा शिक्षाप्रद होना चाहिए। इससे कहानी की छाप मन पर बहुत दिनों तक बनी रहती है।
आप सोच रहे होंगे लघुकथा की बात के प्रसंग में कथा अथवा कहानी की बात होने लगी। इस तरह इसमें लघु का लोप हो गया।
लघुकथा में लघु का अर्थ संक्षिप्त होता है और कथा का अर्थ कहानी।
दरअसल कथा और लघुकथा में बहुत सी समानताएं हैं। दोनों के मूल तत्त्व एक ही हैं। अंतर केवल इनके आकार को लेकर है। लघुकथा संक्षिप्त कथा होती है। यह सामान्य कहानी से आकार में छोटी होती है। इसमें समय, घटना, पात्र और संवाद आदि के विस्तार का कोई अवसर नहीं होता है।
लघुकथा कम से कम शब्दों में लिखी जाती है। इसमें किसी एक घटना को आधार बनाकर ही कहानी लिखी जाती है।
इसमें पात्रों की संख्या कम से कम रखी जाती है।
पात्रों के बीच संवाद बहुत आवश्यकता होने पर ही लिखी जाती है तथा इसे संक्षिप्त रखा जाता है।
लघुकथा में कम शब्दों में रोचकता बनाए रखते हुए कहानी लिखी जाती है।
लघुकथा लेखन में भाषा का बहुत महत्त्व होता है। भाषा घटना एवं पात्रों के अनुरूप सुगठित रूप में प्रयोग की जाती है। इसमें अतिरिक्त विस्तार की कोई गुंजाइश नहीं होती है।
लघुकथा का अंत भी रोचक तथा शिक्षाप्रद होना चाहिए।
लघुकथा का शीर्षक अति संक्षिप्त तथा आकर्षक होना चाहिए।
कक्षा नौवीं के पाठ्यक्रम में लघुकथा लेखन को शामिल किया गया है। प्रश्न पत्र में आपको लघुकथा लेखन के लिए प्रश्न दिए जाएंगे जो 5 अंक के होंगे।
लघुकथा लेखन के प्रश्न कई रूप में पूछे जा सकते हैं :-
(१) लघुकथा लेखन के लिए संकेत बिंदु दिए जा सकते हैं, जिसके आधार पर आपको कहानी लिखनी होगी।
(२) चित्र के रूप में भी प्रश्न दिए जा सकते हैं, जिसके आधार पर लघुकथा की रचना करने के लिए कहा जा सकता है।
(३) लघुकथा लेखन के लिए कोई शीर्षक देकर भी उसके आधार पर कथा लेखन के लिए कहा जा सकता है।
इन प्रश्नों के उत्तर लिखने में सबसे महत्वपूर्ण है- आपकी कल्पना-शक्ति।
दिए गए संकेत बिंदुओं, चित्रों अथवा शीर्षक को देखकर आप एक कथा की कल्पना करेंगे तथा उसे कम से कम शब्दों में लिखेंगे। लघुकथा लेखन के लिए शब्द सीमा 100 से 120 शब्द हैं। लघुकथा लिखने के बाद उसका एक उपयुक्त शीर्षक देना आवश्यक है।
आशा है थोड़ी सी कल्पना-शक्ति और थोड़े से अभ्यास के बाद आप एक अच्छी लघुकथा लिख सकने में सफल होंगे तथा परीक्षा में अधिकतम अंक प्राप्त करेंगे।
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