शनिवार, 29 अक्टूबर 2022

हर पाठ दस बात

  लक्ष्य : बोर्ड परीक्षा 2023

रणनीति :

'हर पाठ दस बात'

(Every Chapter Ten Points)



अक्टूबर का महीना समाप्त होने को है। कक्षा दसवीं एवं बारहवीं के विद्यार्थी जो वर्ष 2023 में बोर्ड परीक्षा (Board Exam) में शामिल होंगे, उनके पास अब अधिक समय नहीं रह गया है। नवंबर, दिसंबर और जनवरी - ये 3 महीने उनके पास हैं अपनी तैयारी को अंतिम रूप देने के लिए तथा परीक्षा के लिए विशेष रणनीति बनाते हुए अपनी तैयारी को अंजाम तक पहुंचाने के लिए।


वैसे तो विद्यार्थी वर्षभर अपने पाठ्यक्रम (Syllabus) की तैयारी में लगे रहते हैं और उसकी पुनरावृत्ति (Revision)  करते रहते हैं। साथ ही विद्यालय में प्रत्येक महीने मासिक परीक्षा (Monthly Test) के रूप में उनकी तैयारी की जांच भी होती रहती है। मासिक परीक्षा के परिणामों को देखते हुए उन्हें उचित सुझाव एवं परामर्श भी दिए जाते हैं, जिसके अनुसार वे सुधार कार्य करते हुए अपनी तैयारी को और मजबूती प्रदान करते रहते हैं।


परीक्षा के अंतिम दिनों में संपूर्ण पाठ्यक्रम का सिंहावलोकन (Overview) करने के लिए अलग- अलग तरह के सुझाव दिए जाते हैं तथा रणनीति बनाए जाते हैं। 




परीक्षा के अंतिम दिनों में हिंदी विषय के पाठ्यक्रम का संपूर्ण सिंहावलोकन करने के लिए एक रणनीति यह हो सकती है कि पाठ्यक्रम में शामिल प्रत्येक पाठ में जो सबसे महत्त्वपूर्ण दस बिंदु (Most Important Ten Points) है, उसे नोट कर लिया जाए तथा समय-समय पर इसकी पुनरावृत्ति (Revision) की जाए। प्रत्येक पाठ पर आधारित महत्त्वपूर्ण बिंदु संबंधित पाठ से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखने (Answer Writing) में सहायक होंगे। इस महत्त्वपूर्ण रणनीति को मैं 'हर पाठ दस बात' (Every Chapter Ten Points) कहता हूं।


विद्यार्थियों के लिए सुझाव है कि 'हर पाठ दस बात' रणनीति पर काम करें तथा परीक्षा के अंतिम दिनों में संपूर्ण पाठ्यक्रम की पुनरावृति करने के उद्देश्य को सरल बनाएं एवं परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने के लक्ष्य की ओर एक कदम और आगे बढ़ें।


आने वाली परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं!



गुरुवार, 13 अक्टूबर 2022

आरोह, भाग-2 (गद्य -खंड) - महत्त्वपूर्ण प्रश्न

 

सीबीएसई (CBSE) पाठ्यचर्या के हिंदी आधार (Hindi Core) विषय कोड (Subject code) - 302 के पाठ्यक्रम के अंतर्गत आरोह, भाग-2 के 'गद्य-खंड' से कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्नों (Important questions) की सूची यहां दी जा रही है। आप इन प्रश्नों के उत्तर लेखन का अभ्यास अवश्य करें। चूंकि ये सभी प्रश्न 3-3 अंकों के होंगे, अतः इन सभी प्रश्नों के उत्तर आप लगभग 50 से 60 शब्दों में लिखने का प्रयास करें।


1- भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा?


2- "भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं" - लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?


3- भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई?


4- बाज़ार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है?


5- 'बाजारुपन' से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार के व्यक्ति बाज़ार को सार्थकता प्रदान करते हैं?


6- बाजार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभर कर आता है? क्या आपकी नजर में उनका आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है?


7- लोगों ने लड़कों की टोली को मेढक मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आपको इंदरसेना कहकर क्यों बुलाती थी?


8- जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?


9- 'गगरी फूटी बैल पियासा' इंदरसेना के इस खेल गीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है?


10- इंदरसेना सबसे पहले 'गंगा मैया की जय' क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है?


11- लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है?


12- ढोलक की आवाज़ का पूरे गांव पर क्या असर होता था?


13- महामारी फैलने के बाद गांव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?


14- लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत की तरह क्यों माना है?


15- "हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता भी कभी-कभी जरूरी हो जाती है" - प्रस्तुत पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।


16- हाय! वह अवधूत आज कहां है? - लेखक ने यहां किसे स्मरण किया है और क्यों?


17- जाति-प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी व भूखमरी का भी एक कारण कैसे बनती रही है? क्या यह स्थिति आज भी है?


18- जाति-प्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप न मानने के पीछे आंबेडकर के क्या तर्क हैं?


19- आंबेडकर के मत से 'दासता' की व्यापक परिभाषा क्या है?


20- आंबेडकर की कल्पना का आदर्श समाज कैसा होगा?


उपरोक्त प्रश्नों की सूची आरोह, भाग- 2 के गद्य-खंड से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों का एक संग्रह है। प्रश्नों की सूची विशेषकर उन विद्यार्थियों के लिए महत्त्वपूर्ण एवं उपयुक्त है जो किन्हीं कारणों से निम्न क्षमता ( Slow bloomers) प्रदर्शित करते रहते हैं अथवा अध्ययन के लिए पर्याप्त समय नहीं देते हैं।

उच्चतम क्षमताओं को प्राप्त विद्यार्थी (High Achievers) पाठ्यक्रम को विस्तार से पढ़ें, उसके विविध प्रसंगों एवं संदर्भों को समझें तथा पाठ से जुड़े तथा उसके आसपास सभी संभावित प्रश्नों के रचनात्मक उत्तर लिखने का अभ्यास करें। इस कार्य हेतु आप अपने शिक्षक की सहायता अवश्य लें।


काव्य खंड के महत्त्वपूर्ण प्रश्न यहां देखें।


मंगलवार, 30 अगस्त 2022

आरोह, भाग-2 काव्य-खंड (महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

सीबीएसई (CBSE) पाठ्यचर्या के हिंदी आधार (Hindi Core) विषय कोड (Subject code) - 302 के पाठ्यक्रम के अंतर्गत आरोह, भाग-2 के 'काव्य-खंड' से कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्नों (Important questions) की सूची यहां दी जा रही है। आप इन प्रश्नों के उत्तर लेखन का अभ्यास अवश्य करें। चूंकि ये सभी प्रश्न 3-3 अंकों के होंगे, अतः इन सभी प्रश्नों के उत्तर आप लगभग 50 से 60 शब्दों में लिखने का प्रयास करें।


1- 'शीतल वाणी में आग' - के होने का क्या अभिप्राय है?


2- जहां पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं - कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?


3- 'मैं और, और जग और, कहां का नाता' - पंक्ति में 'और' शब्द की विशेषता बताइए।


4- 'दिन जल्दी-जल्दी ढलता है' की आवृत्ति से कविता की किस विशेषता का पता चलता है?


5- बच्चे किस बात की आशा में नीड़ों से झांक रहे होंगे?


6- मंज़िल तक पहुंचने के लिए चिड़िया विकल है, लेकिन कवि नहीं। ऐसा क्यों?


7- 'जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास' - कपास के बारे में सोचें कि कपास से बच्चों का क्या संबंध बन सकता है?


8- 'पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं' - बच्चों का उड़ान से कैसा संबंध बनता है?


9- दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य है?


10- 'कविता के बहाने' पाठ के आधार पर बताएं कि सब घर एक कर देने के माने क्या है?


11- उड़ने और खिलने का कविता से क्या संबंध बनता है?


12- कविता और बच्चे को सामानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?


13- कविता के संदर्भ में 'बिना मुरझाए महकने के माने' क्या होते हैं?


14-'भाषा को सहूलियत से बरतने' से क्या अभिप्राय है?


15- बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं, किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में 'सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है' कैसे?


16- 'कैमरे में बंद अपाहिज' करुणा के मुखोटे में छिपी क्रूरता की कविता है- स्पष्ट कीजिए।


17- 'हम समर्थ शक्तिवान' और 'हम एक दुर्बल को लाएंगे' पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है?


18- 'परदे पर वक्त की कीमत है' कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नज़रिया किस रूप में रखा है?


19- कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि 'उषा' कविता गांव की सुबह का गतिशील शब्दचित्र है?


20- भोर का नभ 


राख से लीपा हुआ चौका 


(अभी गीला पड़ा है)


उपर्युक्त पंक्तियों में कोष्ठक से कविता में क्या विशेष अर्थ पैदा हुआ है?


21- 'अशनि- पात से शापित उन्नत शत-शत वीर' - पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है?


22- 'अस्थिर सुख पर दुख की छाया' पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों?


23- बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है?


24- 'विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते' पंक्ति में विप्लव-रव से क्या तात्पर्य है? छोटे ही हैं शोभा पाते, ऐसा क्यों कहा गया है?


25- कवितावली में उद्धृत छंदों के आधार पर स्पष्ट करें कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है।


26- शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव क्यों कहा गया है?


27- भ्रातृशोक में हुई राम की दशा को तुलसी ने प्रभु की नर लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में रचा है। क्या आप इससे सहमत हैं?


28- 'बोले वचन मनुज अनुसारी' का क्या अर्थ है?


29- छोटे चौकोने खेत को कागज का पन्ना कहने से क्या अर्थ निहित है?


30- रचना के संदर्भ में अंधड़ और बीज क्या है?


31- रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचना-कर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है?


गद्य खंड के महत्त्वपूर्ण प्रश्न यहां देखें।

उपरोक्त प्रश्नों की सूची आरोह, भाग- 2 के काव्य-खंड से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों का एक संग्रह है। प्रश्नों की सूची विशेषकर उन विद्यार्थियों के लिए महत्त्वपूर्ण एवं उपयुक्त है जो किन्हीं कारणों से निम्न क्षमता ( Slow bloomers) प्रदर्शित करते रहते हैं अथवा अध्ययन के लिए पर्याप्त समय नहीं देते हैं।


उच्चतम क्षमताओं को प्राप्त विद्यार्थी (High Achievers) पाठ्यक्रम को विस्तार से पढ़ें, उसके विविध प्रसंगों एवं संदर्भों को समझें तथा पाठ से जुड़े तथा उसके आसपास सभी संभावित प्रश्नों के रचनात्मक उत्तर लिखने का अभ्यास करें। इस कार्य हेतु आप अपने शिक्षक की सहायता अवश्य लें।





गुरुवार, 18 अगस्त 2022

पहलवान की ढोलक-1 (MCQ)

 जाड़े का दिन। अमावस्या की रात- ठंडी और काली। मलेरिया और हैज़े से पीड़ित गांव भयार्त्त शिशु की तरह थरथर कांप रहा था। पुरानी और उजड़ी बांस-फूस की झोपड़ियों में अंधकार और सन्नाटे का सम्मिलित साम्राज्य! अंधेरा और निस्तब्धता!


अंधेरी रात चुपचाप आंसू बहा रही थी। निस्तब्धता करुण सिसकियों और आहों को बलपूर्वक अपने हृदय में ही दबाने की चेष्टा कर रही थी। आकाश में तारे चमक रहे थे। पृथ्वी पर कहीं प्रकाश का नाम नहीं। आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हंस पड़ते थे।


सियारों का क्रंदन और पेचक की डरावनी आवाज़ कभी-कभी निस्तब्धता को अवश्य भंग कर देती थी। गांव की झोंपड़ियों से कराहने और कै करने की आवाज़, 'हरे राम! हे भगवान!' की टेर अवश्य सुनाई पड़ती थी। बच्चे भी कभी-कभी निर्बल कंठों से 'मां- मां' पुकारकर रो पड़ते थे। पर इससे रात्रि की निस्तब्धता में विशेष बाधा नहीं पड़ती थी।


कुत्तों में परिस्थिति को ताड़ने की एक विशेष बुद्धि होती है। वे दिन-भर राख के घूरों पर गठरी की तरह सिकुड़कर, मन मारकर पड़े रहते थे। संध्या या गंभीर रात्रि को सब मिलकर रोते थे।


रात्रि अपनी भीषणताओं के साथ चलती रहती और उसकी सारी भीषणता को, ताल ठोककर, ललकारती रहती थी- सिर्फ़ पहलवान की ढोलक! संध्या से लेकर प्रातः काल तक एक ही गति से बजती रहती- चट्-धा, गिड़-धा,.....चट्-धा, गिड़-धा!'  यानी 'आ जा भिड़ जा, आ जा भिड़ जा!' ….. बीच-बीच में- चटाक्- चट्-धा, चटाक्- चट्- धा!' यानी 'उठाकर पटक दे! उठाकर पटक दे!!' 


यही आवाज़ मृत-गांव में संजीवनी शक्ति भरती रहती थी।


उपरोक्त पठित गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-


  1. उपरोक्त गद्यांश के रचयिता कौन हैं?


(क) महादेवी वर्मा 

(ख) धर्मवीर भारती 

(ग) जैनेंद्र कुमार 

(घ) फणीश्वर नाथ रेणु



  1. गांव में कौन-सी बीमारी फैली हुई थी


(क) बुखार और चेचक 

(ख) मलेरिया और टीबी

(ग) मलेरिया और हैजा

(घ) संक्रामक बीमारी


  1. गांव में कौन-सी आवाज़ संजीवनी शक्ति भरती रहती थी?


(क) कुत्ते की आवाज़ 

(ख) सियार की आवाज़ 

(ग) ढोलक की आवाज़

(घ) पेचक की आवाज़



  1. कुत्ते दिन-भर राख के घूरों पर गठरी की तरह सिकुड़कर, मन मारकर क्यों पड़े रहते थे?


(क) कुत्ते बीमार थे।

(ख) कुत्ते थके हुए थे।

(ग) कुत्ते सियार से डरते थे।

(घ) गांव में बीमारी फैली थी।



  1. 'अंधेरी रात चुपचाप आंसू बहा रही थी।' - पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?


(क) रूपक अलंकार 

(ख) उत्प्रेक्षा अलंकार 

(ग) अतिशयोक्ति अलंकार 

(घ) मानवीकरण अलंकार



उत्तर


1- घ,  2- ग, 3- ग, 4- घ, 5- घ






मंगलवार, 4 जनवरी 2022

वैश्वीकरण, रोज़गार की भाषा और हिंदी

Globalization, Language of employment & Hindi

आज का समय वैश्वीकरण का समय है। आज संपूर्ण विश्व बड़े पैमाने पर एक-दूसरे से जुड़ रहे हैं। ऐसा पहले नहीं देखा गया है। इस जुड़ाव में सबसे बड़ा योगदान सूचना तकनीक का है। सूचना तकनीक और उसके विभिन्न माध्यम आज पूरे विश्व को सुगम बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं। इंटरनेट क्रांति इस दौर में बहुत बड़ी क्रांति के रूप में हमारे सामने है। इसने संपूर्ण जीवन को तथा उसके विभिन्न क्षेत्रों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है। परिवार, समाज, अर्थव्यवस्था, राजनीति, संस्कृति और भाषा सभी पर इसका असर देखा जा सकता है।

अर्थव्यवस्था की जब हम बात करते हैं तो इसके अंतर्गत एक सबसे बड़ा प्रश्न रोज़गार का प्रश्न होता है। विभिन्न रोजगारों के लिए अलग-अलग तरह की तकनीक तथा कौशलों की आवश्यकता होती है। इन कौशलों में भाषा कौशल का भी महत्वपूर्ण स्थान है। रोज़गार के संदर्भ में जब हम भाषा की बात करते हैं तो अंग्रेजी की बहुलता को सहर्ष स्वीकार लेते हैं तथा हिंदी में रोज़गार के प्रश्न को लेकर कहीं न कहीं हम निराशा की स्थिति में होते हैं। 


सूचना क्रांति और वैश्वीकरण का आज का यह दौर हिंदी भाषा के विकास में भी योगदान दे रहा है। आवश्यकता है हमें उन क्षेत्रों को पहचानने की तथा योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की, जिससे हिंदी भाषा में रोज़गार के लिए नए अवसर उपलब्ध हों तथा अभी तक उपलब्ध अवसरों का लाभ व्यापक स्तर पर लिया जाए। यहां कुछ ऐसे क्षेत्रों को उद्धृत करना आवश्यक है जिसके लिए हिंदी भाषा ज्ञान व कौशल की आवश्यकता होती है:


कंटेंट लेखन - आज सूचना तकनीक के विकास के साथ कंटेंट लेखकों की मांग बहुत अधिक बढ़ रही है। दुनिया के तमाम बड़े व छोटे उद्यमी को कंटेंट की आवश्यकता होती है। उनके वेबसाइट के लिए कंटेंट लेखकों की आवश्यकता रहती है। इन कंटेंट लेखन में हिंदी भाषा कहीं भी पीछे नहीं है। हिंदी में कंटेंट लेखन की मांग निरंतर बढ़ रही है। आज हर बड़ी कंपनी हिंदी भाषा में भी अपना कंटेंट चाहती है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक, अमेजॉन जैसी सभी बड़ी कंपनियों के वेबसाइट आज हिंदी में भी उपलब्ध है। कई मीडिया समूहों के वेबसाइट जो पहले केवल अंग्रेजी में हुआ करते थे, उनके हिंदी संस्करण आज उपलब्ध हैं।

यह सब इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि हिंदी जानने समझने वालों का एक बहुत बड़ा बाज़ार उपलब्ध है।


ब्लॉगिंग - आज का युग डिजिटल क्रांति का युग है। आज हर कंटेंट हम डिजिटल रूप में खोजना चाहते हैं और उसे मोबाइल या कंप्यूटर के स्क्रीन पर देखना और पढ़ना चाहते हैं। लोग अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए गूगल से सवाल पूछते हैं और गूगल तथा ऐसे तमाम सर्च इंजन चंद सेकेंड में उनकी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए उनकी खोज से संबंधित विभिन्न पृष्ठ और उसके लिंक सामने स्क्रीन पर प्रस्तुत कर देते हैं। स्क्रीन पर आए हुए विभिन्न पृष्ठ किसी न किसी ब्लॉग अथवा वेबसाइट के होते हैं। आज इंटरनेट पर किसी भी पृष्ठ की खोज करने के लिए हिंदी में टाइप किए गए की-वर्ड्स बहुत अधिक होते हैं। वहीं दूसरी तरफ हिंदी में उपलब्ध ब्लॉग्स और वेबसाइट या तो अधिक नहीं मिलते अथवा जो मिलते हैं बहुत स्तरीय नहीं होते हैं। अपुष्ट जानकारी तथा भाषागत अशुद्धता आप हिंदी ब्लॉग्स में जगह-जगह देख सकते हैं। आज आवश्यकता है हिंदी ब्लॉगिंग को समृद्ध करने की तथा गंभीरता पूर्वक योजनाबद्ध तरीके से हिंदी ब्लॉगिंग के क्षेत्र में ढेर सारा काम करने की।


विज्ञापन लेखन व निर्माण - आज के उपभोक्तावादी समय में जहां हर तरफ वस्तुओं के उत्पादन तथा क्रय-विक्रय पर जोर है, ऐसी स्थिति में वस्तुओं के विज्ञापन का महत्त्व सबसे अधिक है। हिंदी भाषा को जानने समझने वाले लोगों की अधिक जनसंख्या होने के कारण इन उत्पादों को हिंदी में अधिक ग्राहक दिखाई देते हैं। अतः सभी उत्पादों के विज्ञापन अधिक से अधिक हिंदी में बनाने पर जोर दिया जाता है। विज्ञापन लेखन से विज्ञापन निर्माण तक इस क्षेत्र में भी हिंदी भाषा में रोजगार के बहुत से अवसर उपलब्ध हों सकते हैं।


पत्रकारिता - पिछले कुछ सालों में पत्रकारिता जगत का विस्तार इतना तीव्र हुआ है कि आज प्रिंट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक सभी क्षेत्रों में विकास दिखाई देता है। अब तो बड़े मीडिया समूहों के साथ-साथ स्वतंत्र व समानांतर पत्रकारिता की शुरुआत हो चुकी है और बड़ी तादाद में हम इसे बढ़ता हुआ देख सकते हैं। भाषा के संबंध में ग्राहक की उपलब्धता का प्रश्न यहां भी स्पष्ट रूप में देखा जा सकता है। यही कारण है कि हिंदी में बहुत से समाचार पत्र तथा समाचार चैनल की शुरुआत हो रही है। इस क्षेत्र में भी हिंदी में रोजगार के बहुत से अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।


यूट्यूब क्रांति - आज के समय में यूट्यूब को एक क्रांति ही कहा जा सकता है। आज यूट्यूब पर उपलब्ध कंटेंट जिस बड़े पैमाने पर देखे जाते हैं, वह भी एक बड़ा अवसर प्रदान करता है। ज़रूरत केवल इस बात की है कि इस कार्य को भी बहुत गंभीरता से लिया जाए तथा अच्छे व स्तरीय कंटेंट ग्राहकों को उपलब्ध कराए जाएं। 


पॉडकास्टिंग - पॉडकास्टिंग का प्रसारण व विस्तार इन दिनों बहुत तीव्र गति से हो रहा है। भारत में यह अपने आरंभिक रूप में दिखाई देता है, लेकिन समय के साथ इस क्षेत्र में भी बहुत अच्छे अवसर बनने की संभावना है। विभिन्न विषयों से संबंधित पॉडकास्टिंग आज के समय की मांग बनती जा रही है। अब तो लोग किताबों को भी पढ़ने से अधिक सुनना पसंद करते हैं। यही कारण है कि बोलती हुई किताबों का प्रचलन इन दिनों तेजी से बढ़ रहा है। अमेजॉन का ऑडिबल और स्टोरीटेल इसके अच्छे उदाहरण हैं।


ई-कॉमर्स - ई-कॉमर्स आज के समय का यथार्थ है। आज जिस तीव्र गति से इसका विस्तार हो रहा है यह अपने आप में एक बड़ी संभावना लेकर हमारे सामने आता है। ई-कॉमर्स कंपनियां ग्राहक को उनकी ही भाषा में वस्तुओं के विवरण उपलब्ध कराती हैं। अत: इस क्षेत्र में भी हिंदी के महत्व को स्वीकार किया गया है तथा इसका व्यापक इस्तेमाल हो रहा है।


ग्राहक सेवा केंद्र - आज की व्यवस्था में ग्राहक सर्व प्रमुख होता है। अतः ग्राहक की सुविधा- असुविधा का ध्यान रखना सबसे प्रधान लक्ष्य है। आज हर उत्पाद बनाने वाली कंपनी के अपने ग्राहक सेवा केंद्र हैं अथवा किसी अन्य ग्राहक सेवा प्रदाता से उनकी सेवाएं ली जाती हैं। वैसे भी सेवा क्षेत्र का प्रसार दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। आज बहुत से ग्राहक हिंदी भाषा में अपने सवाल पूछते हैं तथा उसका निदान हिंदी में ही चाहते हैं। इस उद्देश्य से हिंदी जानने समझने वाले ग्राहक सेवा प्रदाताओं की मांग दिनोंदिन बढ़ रही है। 


इसके अतिरिक्त रोजगार के पारंपरिक क्षेत्र उपलब्ध हैं,  जिसमें विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालयों में शिक्षण कार्य, अनुवाद कार्य, लेखन, संपादन, विभिन्न कार्यालयों में राजभाषा कर्मचारी व अधिकारी आदि तमाम ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें हिंदी की बहुत अच्छी जानकारी तथा पद के अनुसार अपेक्षित शैक्षिक उपाधियों व अनुभवों की आवश्यकता होती है।


निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि रोजगार के संदर्भ में हिंदी भाषा आज के दौर में कहीं भी पीछे नहीं है। बहुत से नए-नए क्षेत्र खुल रहे हैं। ज़रूरत है उन विभिन्न संभावनाओं को खोजने की तथा उसके व्यापक प्रसार तथा गंभीरता पूर्वक कार्य करने की। पूंजीवादी वैश्वीकरण रोज़गार के क्षेत्र में हिंदी भाषा के लिए भी व्यापक संभावना लेकर आ रहा है।


2025 की बोर्ड परीक्षा के लिए योजना

 2025 में होने वाली कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा के लिए सुनियोजित योजना बनाकर तैयारी करें, आपको सफलता अवश्य मिलेगी। हिंदी में अधिकाधिक अंक प...