समास का अर्थ है - संक्षेप।
'यह तीन भुजाओं का समूह है' के स्थान पर 'यह त्रिभुज है' कहना ज्यादा सटीक है।
समास का मुख्य उद्देश्य है- संक्षिप्तिकरण।
समास के प्रयोग से वाक्य सुगठित, संक्षिप्त तथा अधिक प्रभावकारी बनता है।
अतः समास संक्षेप करने की एक प्रक्रिया है।
दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर संबंध बताने वाले शब्दों अथवा विभक्ति-चिन्हों आदि के लोप होने पर उनसे बने एक शब्द को समास कहते हैं।
उदाहरण:
घोड़े पर सवार = घुड़सवार
माता और पिता = माता-पिता
समास-विग्रह : पदों का विस्तृत रूप।
सामासिक पद / समस्त पद : संक्षिप्त रूप।
समास के भेद एवं उनके उदाहरण:
(१) तत्पुरुष समास
वह समास जिसका अंतिम पद प्रधान हो।
जैसे- यह एक राजमहल है।
इस वाक्य में समस्त पद राजमहल है, जिसका विग्रह है: राजा का महल।
इस पद में 'राजा' पहला पद और 'महल' अंतिम पद है। यहां महल की प्रधानता है जो राजा से संबंधित है।
विभक्ति-चिन्हों के आधार पर तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं-
कर्म तत्पुरुष
करदाता - कर को देने वाला
करण तत्पुरुष
भयभीत - भय से भीत
संप्रदान तत्पुरुष
सत्याग्रह - सत्य के लिए आग्रह
अपादान तत्पुरुष
गुणहीन - गुणों से हीन
संबंध तत्पुरुष
राजपुत्र - राजा का पुत्र
अधिकरण तत्पुरुष
घुड़सवार - घोड़े पर सवार
(२) द्वंद्व समास
जिस समास में दोनों पद प्रधान हो, वह द्वंद्व समास कहलाता है।
फूल-पत्ता : फूल और पत्ता
दाल-रोटी : दाल और रोटी
माता-पिता : माता और पिता।
(३) द्विगु समास
जिस समास में पहला पद संख्यावाचक हो, वह द्विगु समास कहलाता है।
त्रिभुज - तीन भुजाओं का समाहार
चौराहा - चार राहों का समाहार
पंचमुखी - पांच मुखों का समाहार
(४) कर्मधारय समास
जिस समास में पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य हो, कर्मधारय समास कहलाता है।
नीलगगन - नीला है जो गगन
पीतांबर - पीला है जो अंबर
कमलनयन - कमल के समान नयन।
(५) अव्ययीभाव समास
जिस समास में पहला पद अव्यय हो, वह अव्ययीभाव समास कहलाता है। यह वाक्य में क्रिया-विशेषण का कार्य करता है।
यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार
प्रतिदिन - प्रत्येक दिन
आजीवन - जीवन भर
(६) बहुव्रीहि समास
जिस समास में दोनों पद प्रधान न होकर एक तीसरे अर्थ का बोध होता है, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
लंबोदर - लंबा है उदर जिसका वह अर्थात् गणेश
दशानन - दस है आनन जिसके वह अर्थात् रावण
नीलकंठ - नीला है कंठ जिसका वह अर्थात् शिव
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