शनिवार, 19 जुलाई 2025

नमक का दारोगा (मुंशी प्रेमचंद) प्रश्नोत्तर

 प्रेमचंद द्वारा रचित 'नमक का दारोगा' कहानी पर आधारित प्रश्न और उनके उत्तर


1. प्रश्न: मुंशी वंशीधर को दारोगा के पद पर नियुक्त होते ही सबसे पहले किस समस्या का सामना करना पड़ा? 

उत्तर: मुंशी वंशीधर को दारोगा के पद पर नियुक्त होते ही सबसे पहले नमक की चोरी और उसके अवैध व्यापार से संबंधित भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ा।


2. प्रश्न: पंडित अलोपीदीन कौन थे और उनकी क्या विशेषता थी? 

उत्तर: पंडित अलोपीदीन दातागंज के सबसे प्रतिष्ठित और धनी व्यक्ति थे। उनकी विशेषता यह थी कि वे धन के बल पर सभी सरकारी अधिकारियों को अपने वश में रखते थे और उनका नमक का अवैध व्यापार खूब फलता-फूलता था।


3. प्रश्न: वंशीधर ने अलोपीदीन को गिरफ्तार करने का साहस क्यों किया, जबकि सभी उनसे डरते थे? 

उत्तर: वंशीधर ने अलोपीदीन को गिरफ्तार करने का साहस इसलिए किया क्योंकि वे ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और न्यायप्रिय व्यक्ति थे। उनके लिए अपना कर्तव्य और न्याय सर्वोपरि था, धन का लालच नहीं।


4. प्रश्न: पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर को अपनी गिरफ्तारी से बचाने के लिए क्या प्रलोभन दिया? 

उत्तर: पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर को अपनी गिरफ्तारी से बचाने के लिए पहले तो रिश्वत के तौर पर बड़ी रकम देने का प्रलोभन दिया, जिसे वंशीधर ने ठुकरा दिया।


5. प्रश्न: कहानी में वकीलों की क्या भूमिका दिखाई गई है? 

उत्तर: कहानी में वकील धन के आगे न्याय को गौण मानते हुए दिखाए गए हैं। वे अलोपीदीन के पक्ष में मुकदमा लड़ते हैं और उन्हें निर्दोष साबित करने का हर संभव प्रयास करते हैं।


6. प्रश्न: अदालत में वंशीधर को किस प्रकार अपमानित किया गया? 

उत्तर: अदालत में वंशीधर को बेईमान और अहंकारी बताया गया। उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया और समाज में उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई गई।


7. प्रश्न: अलोपीदीन वंशीधर की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से किस प्रकार प्रभावित हुए? 

उत्तर: अलोपीदीन वंशीधर की ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और दृढ़ संकल्प से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने वंशीधर को अपनी सारी जायदाद का स्थायी मैनेजर नियुक्त कर दिया।


8. प्रश्न: कहानी के अंत में पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर को क्या कहकर सम्मानित किया? 

उत्तर: कहानी के अंत में पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर को "धर्म को लक्ष्मी पर तरजीह देने वाला" और "वीर पुरुष" कहकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि ऐसे ईमानदार व्यक्ति बहुत कम मिलते हैं।


9. प्रश्न: 'नमक का दारोगा' कहानी का मुख्य संदेश क्या है? 

उत्तर: 'नमक का दारोगा' कहानी का मुख्य संदेश ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और सत्यनिष्ठा के महत्व को दर्शाना है। यह कहानी बताती है कि अंत में सत्य की ही जीत होती है, भले ही इसके लिए कितनी भी कठिनाइयों का सामना करना पड़े।


10. प्रश्न: कहानी में वंशीधर के पिता का उनके प्रति कैसा व्यवहार था? 

उत्तर: कहानी में वंशीधर के पिता शुरुआत में तो उन्हें पैसे कमाने और रिश्वत लेने की सलाह देते हैं, लेकिन जब वंशीधर को नौकरी से निकाला जाता है, तो वे उन पर बहुत क्रोधित होते हैं। हालांकि, अंत में वे वंशीधर की ईमानदारी का महत्व समझते हैं और उन पर गर्व करते हैं।

11. प्रश्न: मुंशी वंशीधर ने अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जो कठिनाइयाँ झेलीं, क्या आज के समाज में कोई व्यक्ति इतनी दृढ़ता दिखा पाएगा? अपने विचार विस्तार से लिखिए। 

उत्तर: मुंशी वंशीधर ने अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए नौकरी खोई, सामाजिक अपमान सहा और आर्थिक तंगी का सामना किया। आज के समाज में ऐसी दृढ़ता दिखाना निश्चित रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण है। वर्तमान परिदृश्य में, जहाँ भ्रष्टाचार और धन का बोलबाला है, लोग अक्सर नैतिक मूल्यों से समझौता कर लेते हैं। हालांकि, ऐसे लोग आज भी मौजूद हैं जो अपने सिद्धांतों पर अटल रहते हैं, लेकिन उन्हें वंशीधर जैसी ही विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। वंशीधर का चरित्र आज भी हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपने मूल्यों के लिए इतनी बड़ी कीमत चुकाने को तैयार हैं।


12. प्रश्न: कहानी में पंडित अलोपीदीन का चरित्र शुरुआत में नकारात्मक प्रतीत होता है, परंतु अंत में वे वंशीधर की ईमानदारी का सम्मान करते हैं। यह परिवर्तन हमें क्या सिखाता है? 

उत्तर: पंडित अलोपीदीन का चरित्र हमें सिखाता है कि सच्चाई और ईमानदारी में इतनी शक्ति होती है कि वह सबसे शक्तिशाली और भ्रष्ट व्यक्ति को भी झुकने पर मजबूर कर सकती है। अलोपीदीन, जो धन के बल पर सब कुछ खरीद सकते थे, वंशीधर की अटूट ईमानदारी के सामने नतमस्तक हो गए। यह दर्शाता है कि मानव हृदय में कहीं न कहीं अच्छाई की कद्र होती है, और जब कोई व्यक्ति अपने मूल्यों पर अडिग रहता है, तो वह दूसरों के विचारों को भी बदल सकता है। यह परिवर्तन इस बात का प्रमाण है कि नैतिक बल धन बल से कहीं अधिक शक्तिशाली होता है।


13. प्रश्न: वंशीधर के पिता का शुरू में उन्हें रिश्वत लेने की सलाह देना और बाद में उनकी ईमानदारी पर गर्व करना, उनके चरित्र की किस कमजोरी और मानवीय पहलू को दर्शाता है? 

उत्तर: वंशीधर के पिता का शुरुआती व्यवहार उनकी मानवीय कमजोरी और तत्कालीन समाज की मानसिकता को दर्शाता है, जहाँ धन कमाना ही एकमात्र उद्देश्य बन गया था, चाहे वह किसी भी साधन से हो। उनकी सोच यह थी कि "ऊपरी आय" ही महत्वपूर्ण है। हालाँकि, जब वंशीधर को नौकरी से निकाला गया, तो उनके पिता क्रोधित हुए, लेकिन अलोपीदीन द्वारा वंशीधर की ईमानदारी का सम्मान करने के बाद, उनका उन पर गर्व करना उनके चरित्र के मानवीय पहलू को दर्शाता है। यह दिखाता है कि भले ही वे पहले गलत सलाह दे रहे थे, पर कहीं न कहीं उनके भीतर भी ईमानदारी और सच्चाई की कद्र थी, जो सही समय पर बाहर आई। यह एक सामान्य पिता की मानसिक स्थिति को दर्शाता है जो अपने बच्चे की सफलता चाहता है, भले ही शुरुआत में रास्ता गलत लगे।


14. प्रश्न: कहानी में वकीलों और न्यायाधीशों के व्यवहार पर टिप्पणी करते हुए बताइए कि यह आज के न्याय प्रणाली पर किस प्रकार लागू होता है? 

उत्तर: कहानी में वकीलों और न्यायाधीशों का व्यवहार धन के प्रभाव में न्याय के बिकने को दर्शाता है। वे न्याय के बजाय धन और प्रभाव के आगे झुकते हैं। वकीलों ने अलोपीदीन का पक्ष लिया और न्यायाधीश ने सबूतों के बजाय धन बल को प्राथमिकता दी। दुर्भाग्य से, यह स्थिति आज की न्याय प्रणाली में भी कुछ हद तक प्रासंगिक है। आज भी न्याय पाने के लिए अक्सर पैसे और पहुँच की आवश्यकता पड़ती है, और गरीब तथा कमजोर व्यक्ति को न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ता है। यह कहानी हमें न्याय प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है।


15. प्रश्न: 'नमक का दारोगा' कहानी आज के युवाओं के लिए क्या प्रेरणा देती है? 

उत्तर: 'नमक का दारोगा' कहानी आज के युवाओं के लिए एक मजबूत प्रेरणा स्रोत है। यह उन्हें सिखाती है कि ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और नैतिकता ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी हैं। यह कहानी यह संदेश देती है कि भले ही सही रास्ते पर चलने में कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ आएँ, लेकिन अंत में सत्य की हमेशा जीत होती है और उसे सम्मान मिलता है। यह युवाओं को शॉर्टकट अपनाने या अनैतिक तरीकों से सफलता पाने के बजाय, अपने सिद्धांतों पर अटल रहने और चरित्रवान बनने के लिए प्रेरित करती है। वंशीधर का उदाहरण दिखाता है कि एक व्यक्ति अपनी ईमानदारी से समाज में बदलाव ला सकता है और दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकता है।



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