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शनिवार, 11 अक्टूबर 2025
पतंग (आलोक धन्वा)
पतंग (आलोक धन्वा) - अध्ययन मार्गदर्शिका
यह अध्ययन मार्गदर्शिका कवि आलोक धन्वा की कविता 'पतंग' की गहन समझ प्रदान करने के लिए तैयार की गई है। इसमें प्रश्नोत्तरी, निबंधात्मक प्रश्न और एक विस्तृत शब्दावली शामिल है जो कविता के मूल भाव, बिंबों और प्रतीकों को स्पष्ट करती है।
खंड 1: लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तरी
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो से तीन वाक्यों में दीजिए।
कवि आलोक धन्वा का जन्म कब और कहाँ हुआ था, और उनकी पहली कविता का नाम क्या था?
आलोक धन्वा का एकमात्र काव्य संग्रह कौन सा है और यह उनके लेखन आरम्भ करने के कितने समय बाद प्रकाशित हुआ?
पाठ्यपुस्तक में संकलित कविता 'पतंग' किस संग्रह से ली गई है और यह मूल कविता का कौन सा भाग है?
'पतंग' कविता का मुख्य विषय क्या है? कवि ने इसे चित्रित करने के लिए किन तत्वों का प्रयोग किया है?
कविता में शरद ऋतु के आगमन का वर्णन किस प्रकार किया गया है?
कवि ने आकाश को मुलायम बनाने का क्या कारण बताया है?
"जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास" - इस पंक्ति का बच्चों के संदर्भ में क्या आशय है?
बच्चे कब और कैसे दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हैं?
पतंग उड़ाते समय बच्चों को गिरने से कौन बचाता है?
कविता के अनुसार, छतों के खतरनाक किनारों से गिरकर बच जाने के बाद बच्चों में क्या परिवर्तन आता है?
खंड 2: उत्तर कुंजी
कवि आलोक धन्वा का जन्म सन् 1948 ई. में मुंगेर (बिहार) में हुआ था। उनकी पहली कविता 'जनता का आदमी' थी जो 1972 में प्रकाशित हुई थी।
आलोक धन्वा का एकमात्र काव्य संग्रह 'दुनिया रोज़ बनती है'। यह संग्रह उनके लेखन आरम्भ (सन् 1972) करने के काफी समय बाद सन् 1998 में प्रकाशित हुआ।
पाठ्यपुस्तक में संकलित कविता 'पतंग' आलोक धन्वा के एकमात्र संग्रह 'दुनिया रोज़ बनती है' का हिस्सा है। यह एक लंबी कविता है जिसके तीसरे भाग को पाठ्यपुस्तक में शामिल किया गया है।
'पतंग' कविता का मुख्य विषय बालसुलभ इच्छाओं एवं उमंगों का सुंदर चित्रण करना है। कवि ने इसे व्यक्त करने के लिए बाल क्रियाकलापों और प्रकृति में आए परिवर्तन को दर्शाने वाले सुंदर बिंबों का उपयोग किया है।
कविता में शरद ऋतु का आगमन एक ऐसे बालक के रूप में वर्णित है जो पुलों को पार करते हुए, अपनी नई चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए, ज़ोर-ज़ोर से घंटी बजाते हुए और चमकीले इशारों से बच्चों के झुंड को बुलाते हुए आता है।
कवि के अनुसार, शरद ऋतु आकाश को इतना मुलायम बना देती है ताकि दुनिया की सबसे हल्की और रंगीन चीज़, यानी पतंग, ऊपर उठ सके। यह बच्चों की कल्पनाओं और सपनों की उड़ान के लिए एक अनुकूल वातावरण का प्रतीक है।
इस पंक्ति का आशय यह है कि बच्चे जन्म से ही कपास की तरह कोमल, हल्के और चोट सहने की क्षमता वाले होते हैं। उनकी शारीरिक कोमलता और लचीलापन उन्हें बेसुध होकर दौड़ने और छतों के खतरनाक किनारों पर भी संतुलन बनाने में मदद करता है।
जब बच्चे बेसुध होकर छतों पर दौड़ते हैं, तो उनके पैरों की आहट से चारों दिशाओं में एक लयबद्ध ध्वनि उत्पन्न होती है। यह ध्वनि ऐसी प्रतीत होती है मानो दिशाएं स्वयं मृदंग के रूप में बज रही हों।
पतंग उड़ाते समय बच्चों को उनके शरीर का रोमांचित संगीत और पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ गिरने से बचाती हैं। वे महज एक धागे के सहारे पतंगों के साथ-साथ अपनी कल्पनाओं में भी उड़ रहे होते हैं।
छतों के खतरनाक किनारों से गिरकर बच जाने के बाद बच्चे और भी अधिक निडर हो जाते हैं। वे नई ऊर्जा और आत्मविश्वास के साथ सुनहले सूरज का सामना करते हैं, और पृथ्वी उनके बेचैन पैरों के पास और भी तेज़ी से घूमती हुई आती है।
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खंड 3: निबंधात्मक प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों पर विस्तार से विचार करें।
'पतंग' कविता में कवि द्वारा प्रयुक्त बिंबों (जैसे - 'खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा', 'चमकीली साइकिल', 'दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए') का विश्लेषण करें और बताएं कि वे कविता के सौंदर्य और अर्थ को किस प्रकार बढ़ाते हैं।
कविता में बच्चों के क्रियाकलापों और प्रकृति में होने वाले परिवर्तनों के बीच एक गहरा संबंध दर्शाया गया है। 'भादो गया, सवेरा हुआ' से लेकर 'शरद आया' तक के प्राकृतिक परिवर्तनों का बच्चों के उल्लास से क्या संबंध है, इसकी व्याख्या करें।
"अगर वे कभी गिरते हैं...और बच जाते हैं तब तो और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं।" - इस पंक्ति के आधार पर भय पर विजय पाने और चुनौतियों का सामना करने के बाद व्यक्ति के आत्मविश्वास पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना करें।
'पतंग' को बच्चों की उमंगों और सपनों का प्रतीक माना गया है। इस कथन की विस्तृत व्याख्या करें कि कैसे पतंग की उड़ान बच्चों की उन सीमाओं को छूने की इच्छा को दर्शाती है, जिसके वे पार जाना चाहते हैं।
"पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास।" - इस पंक्ति का प्रतीकात्मक अर्थ स्पष्ट करते हुए बताएं कि कवि बच्चों की ऊर्जा, गति और दुनिया के साथ उनके सहज संबंध को कैसे चित्रित करना चाहता है।
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खंड 4: शब्दावली
शब्द/वाक्यांश
परिभाषा
भादो
वर्षा ऋतु का एक महीना, जिसे कविता में अंधेरे और भारी बौछारों का प्रतीक माना गया है।
शरद
वर्षा के बाद आने वाली ऋतु, जिसे कविता में उजाले, स्वच्छता और उत्साह का प्रतीक माना गया है।
बिंब
कविता में शब्दों के माध्यम से बनाया गया एक चित्र या दृश्य जो पाठक के मन पर प्रभाव डालता है।
बालसुलभ इच्छाएँ
बच्चों की स्वाभाविक और मासूम इच्छाएँ और आकांक्षाएँ।
किलकारियाँ
खुशी में बच्चों द्वारा निकाली जाने वाली तेज़ आवाज़।
कपास
एक नरम रेशा, जिसका प्रयोग कविता में बच्चों की कोमलता, लचीलेपन और चोट सहने की क्षमता को दर्शाने के लिए किया गया है।
बेसुध
बिना किसी सुध-बुध के, पूरी तरह से अपने काम में मग्न होकर।
मृदंग
एक प्रकार का ढोलक जैसा वाद्ययंत्र; कविता में बच्चों के दौड़ने से उत्पन्न लयबद्ध ध्वनि का प्रतीक।
पेंग भरना
झूला झूलते समय आगे-पीछे होना; कविता में बच्चों के लचीले वेग के साथ चलने का वर्णन।
रोमांचित शरीर का संगीत
अत्यधिक उत्साह और रोमांच की स्थिति में शरीर में होने वाली स्वाभाविक लय या गति।
रंध्र
शरीर के रोएँ या छिद्र; यहाँ इसका अर्थ बच्चों के शरीर के कण-कण से है।
निडर
जिसे किसी बात का डर न हो; নির্ভय।
यह कविता (पतंग) आलोक धन्वा के एकमात्र काव्य संग्रह का हिस्सा है, जिसके तीसरे भाग को पाठ्यपुस्तक में शामिल किया गया है। इस कविता में बालसुलभ इच्छाओं और उमंगों का सुंदर चित्रण किया गया है, और बाल क्रियाकलापों तथा प्रकृति में आए परिवर्तन को व्यक्त करने के लिए सुंदर बिम्बों का उपयोग किया गया है।
'पतंग' कविता बाल-सुलभ उमंगों, क्रियाकलापों तथा प्रकृति के बदलावों को निम्नलिखित रूप से दर्शाती है:
1. प्रकृति के बदलाव (शरद ऋतु का आगमन)
कविता में प्रकृति के बदलावों को भादों के जाने और शरद ऋतु के आगमन के माध्यम से दर्शाया गया है।
भादों का अंत: कवि बताते हैं कि सबसे तेज़ बौछारें चली गईं और भादों चला गया।
शरद का प्रवेश: भादों (अंधेरे) के बाद शरद (उजाला) की प्रतीक्षा रहती है। शरद का आगमन हुआ है, जो पुलों को पार करते हुए आता है।
उजला और चमकीला सवेरा: सवेरा खरगोश की आँखों जैसा लाल हो गया है। शरद ऋतु का यह चमकीला इशारा बिम्बों की एक नई दुनिया में ले जाता है।
शरद की सक्रियता: शरद अपनी नई चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए, ज़ोर-ज़ोर से घंटी बजाते हुए, और चमकीले इशारों से पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को बुलाते हुए आता है।
आकाश का मुलायम होना: शरद ने आकाश को इतना मुलायम बना दिया है कि दुनिया की सबसे हल्की और रंगीन चीज़ (पतंग) ऊपर उठ सके।
2. बाल-सुलभ उमंगें
पतंग कविता बच्चों की बालसुलभ इच्छाओं एवं उमंगों का सुंदर चित्रण करती है।
उमंगों का रंग-बिरंगा सपना: पतंग बच्चों की उमंगों का रंग-बिरंगा सपना है। आसमान में उड़ती हुई पतंगें ऊँचाइयाँ की वे सीमाएँ हैं जिन्हें बालमन छूना चाहता है और उसके पार जाना चाहता है।
सीटियाँ और किलकारियाँ: बच्चों द्वारा सबसे हल्की और रंगीन चीज़ (पतंग), सबसे पतले कागज़ और बाँस की सबसे पतली कमानी को उड़ाने के साथ ही सीटियों, किलकारियों और तितलियों की इतनी नाज़ुक दुनिया शुरू हो जाती है।
निर्भीकता और उत्साह: बच्चे छत के खतरनाक किनारों से गिरकर बच जाने के बाद और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं। यह भय पर विजय पाने वाले बच्चों को दर्शाता है।
उड़ान की भावना: बच्चे पतंगों के साथ-साथ अपने रंध्रों के सहारे भी उड़ रहे होते हैं। जब वे पतंगों की ऊँचाई पर होते हैं, तो महज़ एक धागे के सहारे पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ उन्हें थाम लेती हैं।
3. बच्चों के क्रियाकलाप
कविता बच्चों के क्रियाकलापों और उनके शारीरिक वेग को दर्शाने के लिए कई बिम्बों का उपयोग करती है:
वेग और लचीलापन: बच्चे डाल की तरह लचीले वेग से पेंग भरते हुए (झूलते हुए) छतों के खतरनाक किनारों तक चले आते हैं।
छतों को नरम बनाना: पतंग उड़ाते समय वे बेसुध होकर दौड़ते हैं, जिससे वे छतों को भी नरम बनाते हुए महसूस होते हैं।
दिशाओं में संगीत: वे दौड़ते समय दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए प्रतीत होते हैं। दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने का तात्पर्य यह है कि जब बच्चे पतंग उड़ाते हुए पूरी मस्ती और उमंग में दौड़ते हैं, तो उनकी आवाज़ या कदमों की आवाज़ से मानो चारों दिशाओं में गूँज या संगीत फैल जाता है।
पृथ्वी का उनके पास आना: उनके बेचैन पैरों के पास पृथ्वी घूमती हुई आती है। जब वे खतरनाक किनारों से बच जाते हैं, तो पृथ्वी और भी तेज़ घूमती हुई उनके पास आती है।
सुरक्षा का स्रोत: जब वे छतों के खतरनाक किनारों पर होते हैं, तो गिरने से सिर्फ़ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत उन्हें बचाता है।
जन्मजात कोमलता: बच्चे अपने साथ जन्म से ही कपास लाते हैं। कपास की कोमलता बच्चों के संबंध को दर्शाती है।
यह कविता (पतंग) बाल मन की ऊंचाइयों को छूने की इच्छा और खतरों का सामना करने की प्रवृत्ति को बहुत ही सुंदर ढंग से व्यक्त करती है:
1. बाल मन की ऊँचाइयों को छूने की इच्छा (Desire to Touch Heights)
कविता 'पतंग' में बालसुलभ इच्छाओं एवं उमंगों का सुंदर चित्रांकन किया गया है। पतंग बच्चों की उमंगों का एक रंग-बिरंगा सपना है।
पतंग का प्रतीकात्मक महत्व: आकाश में उड़ती हुई पतंगें ऊँचाइयों की वे सीमाएँ हैं, जिन्हें बालमन छूना चाहता है और उसके पार जाना चाहता है।
उड़ान और हौसला: बच्चे हर बार नई-नई पतंगों को सबसे ऊँचा उड़ाने का हौसला लिए होते हैं और इसके लिए वे शरद ऋतु (उजाले) की प्रतीक्षा करते रहते हैं।
स्वयं की उड़ान: पतंग उड़ाते समय बच्चे इतने तल्लीन हो जाते हैं कि वे महसूस करते हैं कि पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं—अपने रंध्रों (शरीर के रोमछिद्रों) के सहारे।
थामने वाली ऊँचाइयाँ: पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ बच्चों को थाम लेती हैं, और यह थामना महज़ एक धागे के सहारे होता है। यह उनके सपनों की ऊंचाई से जुड़ाव को दिखाता है।
2. खतरों का सामना और निडरता (Confronting Dangers and Fearlessness)
कविता में बच्चों की क्रियाकलापों को दर्शाया गया है जहाँ वे ऊँचाइयों को छूने की अपनी इच्छा के कारण जानबूझकर खतरनाक परिस्थितियों का सामना करते हैं, और उन्हें पार करके और भी निडर बन जाते हैं:
खतरनाक किनारों पर दौड़ना: पतंग उड़ाते समय बच्चे बेसुध होकर दौड़ते हैं, और वे छतों के खतरनाक किनारों तक पहुँच जाते हैं।
डर पर विजय: जहाँ एक ओर छतों के खतरनाक कोने से गिरने का भय होता है, वहीं दूसरी ओर ये बच्चे भय पर विजय पाते हुए दिखाई देते हैं।
बचाव का आंतरिक स्रोत: जब वे डाल की तरह लचीले वेग से पेंग (झूले) भरते हुए खतरनाक किनारों की ओर आते हैं, तो उस समय उन्हें गिरने से बचाता है सिर्फ़ उन्हीं के रोमांचित शरीर का संगीत।
निडरता में वृद्धि: यदि वे कभी छतों के खतरनाक किनारों से गिरते हैं और बच जाते हैं, तब तो वे और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं। यह घटना उन्हें और अधिक साहसी बना देती है।
पृथ्वी का आकर्षण: गिरने और सँभलने की इस प्रक्रिया के कारण, पृथ्वी का हर कोना स्वयं-ब-स्वयं उनके पास आ जाता है, जो यह दर्शाता है कि खतरों का सामना करने से दुनिया की चुनौतियाँ उनके लिए आसान हो जाती हैं।
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