प्रश्न: 'इंदर सेना' और 'मेढक मंडली' कौन थी? उन्हें लोग ऐसा क्यों कहते थे?
उत्तर: 'इंदर सेना' या 'मेढक मंडली' गाँव के किशोरों और बच्चों का एक समूह था जो वर्षा के लिए प्रार्थना करते हुए गलियों में घूमता था। उन्हें 'इंदर सेना' इसलिए कहते थे क्योंकि वे इंद्र देवता से वर्षा की याचना करते थे, और 'मेढक मंडली' उनकी नग्नता, शोर-शराबे और पानी में लोटने जैसी हरकतों के कारण कहा जाता था।
प्रश्न: लेखक बचपन में आर्यसमाजी संस्कारों से प्रभावित क्यों था?
उत्तर: लेखक बचपन में आर्यसमाजी संस्कारों से इसलिए प्रभावित था क्योंकि वह कुमार सुधार सभा का उपमंत्री था। इस सभा में समाज सुधार के कार्य किए जाते थे और अंधविश्वासों का विरोध किया जाता था। यही कारण था कि वह इंदर सेना के अंधविश्वासपूर्ण कार्यों का समर्थन नहीं करता था।
प्रश्न: 'जीजी' कौन थीं और वे लेखक से किस बात पर बहस करती थीं?
उत्तर: 'जीजी' लेखक की बड़ी बहन समान थीं और परिवार में सभी की पूजनीय थीं। वे लेखक से इंदर सेना पर पानी डालने जैसी बातों पर बहस करती थीं। जीजी इसे त्याग और लोक-कल्याण मानती थीं, जबकि लेखक इसे पानी की बर्बादी और अंधविश्वास मानता था।
प्रश्न: लेखक को इंदर सेना पर पानी फेंकना 'पानी की बर्बादी' क्यों लगता था?
उत्तर: लेखक को इंदर सेना पर पानी फेंकना 'पानी की बर्बादी' इसलिए लगता था क्योंकि देश में पहले ही पानी की भारी कमी थी। लोग प्यासे थे, खेत सूखे पड़े थे, और ऐसे में बहुमूल्य पानी को यूँ ही बहा देना उसे अतार्किक और गैर-जिम्मेदाराना लगता था।
प्रश्न: जीजी के अनुसार इंदर सेना पर पानी डालना 'त्याग' क्यों था?
उत्तर: जीजी के अनुसार इंदर सेना पर पानी डालना 'त्याग' था क्योंकि यह वस्तुतः अर्घ्य था। उनका मानना था कि किसी चीज को पाने के लिए पहले कुछ समर्पण या त्याग करना पड़ता है। अपनी इच्छित वस्तु का दान ही सच्ची श्रद्धा है और इसी से इंद्र देवता प्रसन्न होकर वर्षा करते हैं।
प्रश्न: 'अंधविश्वास' और 'लोक-आस्था' में क्या अंतर है? पाठ के संदर्भ में स्पष्ट करें।
उत्तर: अंधविश्वास वह है जहाँ बिना तर्क के किसी बात पर विश्वास किया जाता है, जैसे पानी की कमी में भी पानी बहाना। लोक-आस्था सामूहिक विश्वास है जो लोगों को किसी उद्देश्य के लिए जोड़ता है, भले ही उसमें वैज्ञानिक तर्क न हों, जैसे वर्षा के लिए इंदर सेना पर पानी डालना। पाठ में लेखक इसे अंधविश्वास, जबकि जीजी इसे लोक-आस्था मानती हैं।
प्रश्न: धर्मवीर भारती ने आजादी के बाद भी देश की किन समस्याओं का जिक्र किया है?
उत्तर: धर्मवीर भारती ने आजादी के बाद भी देश की कई समस्याओं का जिक्र किया है, जिनमें अंधविश्वासों का बोलबाला, अशिक्षा, नैतिक मूल्यों में गिरावट, स्वार्थपरता और त्याग की भावना की कमी प्रमुख है। लेखक कहते हैं कि हम बातें तो बड़ी-बड़ी करते हैं, पर देश के लिए कुछ खास करते नहीं।
प्रश्न: 'काला मेघा पानी दे' के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर: 'काला मेघा पानी दे' के माध्यम से लेखक यह संदेश देना चाहते हैं कि समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और लोक-आस्था के बीच संतुलन होना चाहिए। वे त्याग की भावना और नैतिक मूल्यों के महत्व पर भी जोर देते हैं। लेखक यह भी इंगित करते हैं कि हम बातें तो बहुत करते हैं, पर वास्तव में कुछ देते नहीं।
प्रश्न: 'पानी दे, गुड़धानी दे' का क्या महत्व है?
उत्तर: 'पानी दे, गुड़धानी दे' इंदर सेना का मुख्य नारा था। इसका महत्व यह है कि वे केवल पानी ही नहीं, बल्कि पानी से होने वाली खुशहाली और समृद्धि (गुड़धानी - गुड़ और अनाज) भी मांग रहे थे। यह सूखाग्रस्त किसानों और ग्रामीणों की आशा और उनकी बुनियादी जरूरत को व्यक्त करता है।
प्रश्न: लेखक के तर्क और जीजी की आस्था में आप किसे अधिक महत्व देंगे और क्यों?
उत्तर: यह व्यक्तिगत दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। लेखक के तर्क को महत्व दिया जा सकता है क्योंकि वह वैज्ञानिक सोच और पानी के सदुपयोग की बात करते हैं, जो आज के समय में अधिक प्रासंगिक है। वहीं, जीजी की आस्था को महत्व दिया जा सकता है क्योंकि वह सामुदायिक भावना, विश्वास और त्याग के गहरे मानवीय मूल्यों पर आधारित है, जो समाज को जोड़े रखती है।
प्रश्न: लेखक ने 'धर्मवीर' होने के बाद भी स्वयं को 'अधर्मी' क्यों कहा है?
उत्तर: लेखक ने स्वयं को 'अधर्मी' इसलिए कहा है क्योंकि वे बचपन में जीजी के कहे अनुसार इंदर सेना पर पानी डालने जैसे पुण्य के कार्य में शामिल नहीं होते थे। उनकी तार्किक सोच उन्हें ऐसा करने से रोकती थी, जबकि जीजी इसे धर्म का काम मानती थीं। यह लेखक की आंतरिक दुविधा को दर्शाता है।
प्रश्न: 'त्याग' और 'दान' में क्या अंतर है? पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर: पाठ के अनुसार, दान वह है जो हमारे पास बहुत अधिक हो और हम उसमें से कुछ दे दें। जबकि त्याग वह है जब हम अपनी जरूरत की या प्रिय वस्तु का भी दूसरों के कल्याण के लिए समर्पण करें। जीजी के अनुसार इंदर सेना पर पानी डालना अपनी आवश्यकता का त्याग था, न कि केवल दान।
प्रश्न: 'हम भ्रष्टाचार की बातें करते हैं, पर खुद उसी में लिप्त रहते हैं' – इस कथन का आशय क्या है?
उत्तर: इस कथन का आशय है कि भारतीय समाज में कथनी और करनी में अंतर है। हम मौखिक रूप से भ्रष्टाचार का विरोध करते हैं, नैतिकता की बातें करते हैं, लेकिन व्यवहार में स्वयं भी अनैतिकता और स्वार्थ में लिप्त रहते हैं। यह हमारे पाखंडी स्वभाव और जिम्मेदारी से बचने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
प्रश्न: पाठ में ग्रामीण संस्कृति और शहरी मानसिकता का टकराव किस प्रकार दिखाया गया है?
उत्तर: पाठ में ग्रामीण संस्कृति (जीजी और इंदर सेना की लोक-आस्था) और शहरी मानसिकता (लेखक का तार्किक, वैज्ञानिक दृष्टिकोण) का टकराव स्पष्ट रूप से दिखाया गया है। जहाँ ग्रामीण लोग प्रकृति से सीधा जुड़ाव और पुरानी परंपराओं में विश्वास रखते हैं, वहीं शहरी सोच अधिक व्यावहारिक और तार्किक होती है, जो इन रीति-रिवाजों को अंधविश्वास मानती है।
प्रश्न: 'काले मेघा पानी दे' पाठ आज के समय में कितना प्रासंगिक है?
उत्तर: 'काले मेघा पानी दे' पाठ आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक है। यह हमें जल संरक्षण के महत्व को समझने, अंधविश्वासों और रूढ़ियों पर विचार करने तथा त्याग व परोपकार की भावना अपनाने की प्रेरणा देता है। इसके साथ ही, यह कथनी और करनी में समानता लाने की आवश्यकता पर भी जोर देता है।