मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

प्रश्नपत्र का खाका (Blue print)

 विषय-हिंदी (आधार) (विषय कोड - 302)

कक्षा- बारहवीं

प्रश्नपत्र का खाका (Blue print)


    खंड ‘अ’ (वस्तुपरक प्रश्न)


विषय-वस्तु 

उप-भार 

कुल भार 


अपठित गद्यांश (चिंतन क्षमता एवं अभिव्यक्ति कौशल पर बहुविकल्पात्मक प्रश्न) 



15



दो अपठित गद्यांशों में से कोई एक गद्यांश (1 अंक x 10 प्रश्न)

10 

 

 

ख 

दो अपठित पद्यांशों में से कोई एक पद्यांश (1 अंक x 5 प्रश्न)




कार्यालयी हिन्दी और रचनात्मक-लेखन (अभिव्यक्ति और माध्यम पुस्तक के आधार पर)



5


अभिव्यक्ति और माध्यम पुस्तक से बहुविकल्पात्मक प्रश्न (1अंक x 5 प्रश्न)




पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-2 से बहुविकल्पात्मक प्रश्न 



10

क 

पठित काव्यांश पर पाँच बहुविकल्पीय प्रश्न (1अंक x 5 प्रश्न)



पठित गद्यांश पर पाँच बहुविकल्पीय प्रश्न (1अंक x 5 प्रश्न)


 


अनुपूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग-2 से बहुविकल्पात्मक प्रश्न



10

पठित पाठों पर दस बहुविकल्पीय प्रश्न (1अंक x 10 प्रश्न)


10 


                                     

   खंड ‘ब’ (वर्णनात्मक प्रश्न)




विषय-वस्तु 

उप-भार 

कुल भार 


कार्यालयी हिन्दी और रचनात्मक लेखन 


20

क 

दिए गए नए और अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 150 शब्दों में रचनात्मक लेखन (5 अंक x 1 प्रश्न)





ख  

औपचारिक विषय से संबन्धित पत्र-लेखन (5 अंक x 1 प्रश्न ) (विकल्प सहित)



ग 

कविता/कहानी/नाटक की रचना-प्रक्रिया पर आधारित दो लघुत्तरीय प्रश्न 


(3 अंक x 1 प्रश्न)+(2 अंक x 1 प्रश्न) (विकल्प सहित)



समाचार लेखन (उल्टा पिरामिड शैली) /फीचर लेखन/आलेख लेखन पर आधारित दो लघुत्तरीय प्रश्न 


(3 अंक x 1 प्रश्न)+(2 अंक x 1 प्रश्न) (विकल्प सहित)




पाठ्य पुस्तक आरोह भाग -2 


20

काव्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर 


(लगभग 50-60 शब्दों में) (3 अंक x 2 प्रश्न)



काव्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर


 (लगभग 30-40 शब्दों में) (2 अंक x 2 प्रश्न)



गद्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर 


(लगभग 50-60 शब्दों में) (3 अंक x 2 प्रश्न)



गद्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर 


(लगभग 30-40 शब्दों में) (2 अंक x 2 प्रश्न)





कुल अंक 


80 

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मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020

अलंकार

 



"अलंकरोति इति अलंकार:।"

अथवा

"अलंक्रियतेsनेन इति अलंकार:।"


अर्थात जो अलंकृत करे, शोभा बढ़ाए, उसे अलंकार कहा जाता है।

जिस तत्व से काव्य की शोभा होती है, उसे अलंकार कहते हैं।

संस्कृत काव्यशास्त्र में अलंकार सिद्धांत का प्रवर्तक भामह को माना जाता है। इसी परंपरा में दंडी और उद्भट भी आते हैं।


अलंकार तीन प्रकार के होते हैं-

क) शब्दालंकार 

ख) अर्थालंकार 

ग) उभयालंकार


शब्दालंकार


जब शब्दों के विशेष प्रयोग के द्वारा काव्य में चमत्कार उत्पन्न किया जाए अथवा काव्य की शोभा बढ़ाई जाए, वहां शब्दालंकार का प्रयोग होता है।


(१) अनुप्रास अलंकार


एक या एक से अधिक वर्णों की क्रमानुसार आवृत्ति को अनुप्रास अलंकार कहा जाता है।


चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल-थल में।


मुदित महीपति मंदिर आए, सेवक सचिव सुमंत बुलाए।


शेष महेश गणेश दिनेश सुरेश हि जाहि निरंतर गावे।


(२) यमक अलंकार


जहां एक शब्द या शब्द समूह एक से अधिक बार आए किंतु उनका अर्थ हर बार भिन्न हो, वहां यमक अलंकार होता है।


"तीन बेर खाती थी, वो तीन बेर खाती है।"


उपरोक्त उदाहरण के पहले अंश में दिन में तीन बार खाने की बात कही गई है, वहीं दूसरे अंश में मात्र तीन फल खाने की बात कही गई है। अतः यहां यमक अलंकार है।


काली घटा का घमंड घटा।


माला फेरत जुग गया, मिटा न मन का फेर। 

कर का मनका डारि दै, मन का मनका फेर।।


कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय। 

या खाए बौराय जग,  वा पाए बौराय।।


(३) श्लेष अलंकार


जहां एक ही शब्द के एक से अधिक अर्थ निकलते हों, वहां श्लेष अलंकार होता है।


रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।

पानी गए न ऊबरै, मोती मानुष चून।।


यहां पानी तीन अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। मोती के लिए उसकी चमक, मनुष्य के लिए उसका सम्मान तथा चून के लिए जल के रूप में पानी का प्रयोग हुआ है।


जो रहीम गति दीप की कुल कपूत गति सोय।

बारै उजियारो करै, बढे अंधेरो होय।।


सुबरन को ढूंढत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।



अर्थालंकार


जब काव्य में चमत्कार शब्द के द्वारा न होकर अर्थ के द्वारा उत्पन्न होता है, तो वहां अर्थालंकार होता है।


(४) उपमा अलंकार


समान गुण के आधार पर जहां एक वस्तु की तुलना किसी दूसरी वस्तु से की जाती है, वहां उपमा अलंकार होता है।


उपमा के चार अंग होते हैं

उपमेय - जिसकी तुलना की जाती है।

उपमान - जिससे तुलना की जाती है।

साधारण धर्म - जिस गुण के कारण तुलना की जाती है।

वाचक शब्द - जिस शब्द के द्वारा तुलना की जाती है।


"पीपर पात सरिस मन डोला।"

मन - उपमेय 

पीपर पात - उपमान 

डोला - साधारण धर्म 

सरिस - वाचक शब्द


नील गगन-सा शांत हृदय था हो रहा।


कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा।


आरसी-से अंबर में आभा-सी उज्यारी लागै।


(५) रूपक अलंकार


जब उपमेय पर उपमान का आरोप हो जाता है अर्थात उपमेय और उपमान में भेद मिट जाता है, तो वहां रूपक अलंकार होता है।


"एक राम-घनश्याम हित चातक तुलसीदास।"


यहां राम की तुलना घनश्याम से न करते हुए राम को ही घनश्याम कहा गया है, अर्थात राम रूपी घनश्याम। 


चरण-कमल बंदौं हरिराई।


मैया, मैं तो चंद्र-खिलौना लैहों।


बंदौं गुरुपद-पदुम परागा।


(६) उत्प्रेक्षा अलंकार


जहां उपमेय में उपमान की संभावना व्यक्त की जाती है, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

इसमें जनु, मनु, मानो, जानो जैसे वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।


पाहुन ज्यों आए हों गांव में शहर के।

मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के।।


सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गात। 

मनो नीलमणि सैल पर, आतप पर््यो प्रभात।।


उसका मुख मानो चंद्रमा है।



(७) अतिशयोक्ति अलंकार


जहां किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाता है, वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।


हनुमान की पूंछ में, लग न पाई आग। 

लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग।


देख लो साकेत नगरी है यही। 

स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही।।


(८) मानवीकरण अलंकार


जहां मानवेत्तर जगत एवं उसके भावों का वर्णन मानव के रूप में किया जाता है, वहां मानवीकरण अलंकार होता है।


मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के।


दिवसावसान का समय, 

मेघमय आसमान से उतर रही है, 

वह संध्या सुंदरी परी-सी, धीरे-धीरे-धीरे।


बीती विभावरी जाग री। 

अंबर-पनघट में डुबो रही, तारा-घट उषा नागरी।




शनिवार, 24 अक्टूबर 2020

समास (Compound)

 




समास का अर्थ है - संक्षेप। 

'यह तीन भुजाओं का समूह है' के स्थान पर 'यह त्रिभुज है' कहना ज्यादा सटीक है।


समास का मुख्य उद्देश्य है- संक्षिप्तिकरण। 


समास के प्रयोग से वाक्य सुगठित, संक्षिप्त तथा अधिक प्रभावकारी बनता है। 

अतः समास संक्षेप करने की एक प्रक्रिया है। 


दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर संबंध बताने वाले शब्दों अथवा विभक्ति-चिन्हों आदि के लोप होने पर उनसे बने एक शब्द को समास कहते हैं।


उदाहरण:


घोड़े पर सवार = घुड़सवार

माता और पिता = माता-पिता


समास-विग्रह : पदों का विस्तृत रूप।

सामासिक पद / समस्त पद : संक्षिप्त रूप।



समास के भेद एवं उनके उदाहरण:


(१) तत्पुरुष समास


वह समास जिसका अंतिम पद प्रधान हो। 

जैसे- यह एक राजमहल है। 

इस वाक्य में समस्त पद राजमहल है, जिसका विग्रह है: राजा का महल। 

इस पद में 'राजा' पहला पद और 'महल' अंतिम पद है। यहां महल की प्रधानता है जो राजा से संबंधित है। 

विभक्ति-चिन्हों के आधार पर तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं-


कर्म तत्पुरुष 

करदाता - कर को देने वाला


करण तत्पुरुष

भयभीत - भय से भीत


संप्रदान तत्पुरुष 

सत्याग्रह - सत्य के लिए आग्रह


अपादान तत्पुरुष 

गुणहीन - गुणों से हीन


संबंध तत्पुरुष 

राजपुत्र - राजा का पुत्र


अधिकरण तत्पुरुष 

घुड़सवार - घोड़े पर सवार



(२) द्वंद्व समास


जिस समास में दोनों पद प्रधान हो, वह द्वंद्व समास कहलाता है।


फूल-पत्ता : फूल और पत्ता 

दाल-रोटी : दाल और रोटी 

माता-पिता : माता और पिता।



(३) द्विगु समास


जिस समास में पहला पद संख्यावाचक हो, वह द्विगु समास कहलाता है।


त्रिभुज - तीन भुजाओं का समाहार

चौराहा - चार राहों का समाहार

पंचमुखी - पांच मुखों का समाहार


(४) कर्मधारय समास


जिस समास में पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य हो, कर्मधारय समास कहलाता है।


नीलगगन - नीला है जो गगन

पीतांबर - पीला है जो अंबर

कमलनयन - कमल के समान नयन।



(५) अव्ययीभाव समास


जिस समास में पहला पद अव्यय हो, वह अव्ययीभाव समास कहलाता है। यह वाक्य में क्रिया-विशेषण का कार्य करता है।


यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार 

प्रतिदिन - प्रत्येक दिन 

आजीवन - जीवन भर 



(६) बहुव्रीहि समास


जिस समास में दोनों पद प्रधान न होकर एक तीसरे अर्थ का बोध होता है, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।


लंबोदर - लंबा है उदर जिसका वह अर्थात् गणेश

दशानन - दस है आनन जिसके वह अर्थात् रावण

नीलकंठ - नीला है कंठ जिसका वह अर्थात् शिव






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