बुधवार, 5 अगस्त 2020

हिंदी की अशुद्धियां कैसे दूर करें

हिंदी की बात करते ही अशुद्धियों की बात ही जाती है। स्कूल में अधिकतर बच्चे इन अशुद्धियों के शिकार होते हैं। कक्षा-कार्य गृह-कार्य की नोटबुक हो अथवा परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं, सभी जगह अशुद्धियों की भरमार देखी जाती है। कई बार ऐसा होता है कि बच्चे सही उत्तर जानते हुए भी उसे ठीक तरह से लिख नहीं पाते। उनके उत्तर-लेखन में कई तरह की अशुद्धियां रह जाती हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि उन्हें मूल्यांकन में कम अंक भी दिए जाते हैं तथा वे प्रोत्साहन से भी वंचित रह जाते हैं।

जब हम इन अशुद्धियों की बात करते हैं तो पहला सवाल यह उठता है कि क्या आप अपनी इन अशुद्धियों से परेशान हैं? क्या आप अपनी इन अशुद्धियों को दूर करना चाहते हैं? क्या आपके मन में बिना गलती किए अच्छी हिंदी लिखने की इच्छा होती है? यदि इसका उत्तर हां है, तो नीचे लिखी गई बातों को ध्यान से पढ़ें तथा बताए गए नियमों का पालन अभ्यास करें:-

 

हिंदी की कोई भी अच्छी पुस्तक प्रतिदिन पढ़ने की आदत डालें। इसकी शुरुआत आप अपनी पाठ्य-पुस्तक से कर सकते हैं। पुस्तक पढ़ते समय सचेत रहें तथा शब्दों को पढ़ते हुए उसकी बनावट को ध्यान से देखें। जो शब्द आपके लिए नए हों अथवा कठिन हों, उसे रेखांकित करें तथा उसे याद रखें। संभव हो तो उन शब्दों की एक सूची बना लें।

 पुस्तक पढ़ते समय वाक्य-रचना पर भी ध्यान दें। इस बात को ध्यान से देखें और समझें कि किसी बात को कहने के लिए किस तरह से वाक्य-रचना की जाती है। आपको अपनी बात कहने तथा लिखने के लिए इन वाक्यों से सहायता लेनी चाहिए।

 प्रतिदिन पुस्तक से देखकर कम-से-कम 10 वाक्य नोटबुक में लिखें। इससे आपके लेखन में भी सुधार आएगा तथा अशुद्धियां भी दूर होंगी।

इसके अतिरिक्त आप श्रुतलेख का अभ्यास प्रतिदिन करें। श्रुतलेख का अभ्यास आप दो तरह से कर सकते हैं। शब्द-लेखन अभ्यास तथा अनुच्छेद-लेखन अभ्यास। श्रुतलेखन अभ्यास के लिए आप घर में किसी सदस्य की सहायता ले सकते हैं। उनसे शब्द अथवा अनुच्छेद पढ़ने के लिए कहिए, आप सुनकर उसे अपनी नोटबुक में लिखिए। लिख लेने के बाद आप स्वयं पुस्तक से उसका मिलान कीजिए तथा अपनी गलतियों को रेखांकित कीजिए। गलत लिखे गए शब्दों को पुस्तक से देखकर ठीक कीजिए तथा उसे याद रखिए।

 सही शब्द तथा वाक्य-रचना के साथ अपनी अभिव्यक्ति-क्षमता का विकास कीजिए। इसके लिए आपको प्रतिदिन अपने शब्दों में कुछ लिखने की आदत डालनी चाहिए। इसकी शुरुआत आप पढ़े हुए पाठ के प्रश्नोत्तर लेखन से कर सकते हैं।

 अपनी अभिव्यक्ति क्षमता के विकास के लिए आप प्रतिदिन डायरी लेखन की शुरुआत कर सकते हैं। आप किसी डायरी में हर दिन के अपने अनुभवों को लिखना शुरू करें।

 अनौपचारिक पत्र-लेखन अभिव्यक्ति-क्षमता के विकास के लिए एक अच्छा माध्यम है। आप अपने परिवार के किसी सदस्य, रिश्तेदार अथवा मित्र को पत्र लिखकर अभ्यास कर सकते हैं।

 निबंध को गद्य की कसौटी कहा जाता है। अतः भाषा और अभिव्यक्ति-क्षमता के विकास के लिए निबंध-लेखन का अभ्यास बहुत अच्छा माना जाता है। आप अलग-अलग विषयों के बारे में जानकारी इकट्ठा करके निबंध-लेखन का अभ्यास कर सकते हैं। इस अभ्यास से आपको परीक्षा में तथा अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में भी निबंध लिखने में सहूलियत होगी।

 इसके अतिरिक्त संवाद-लेखन, कविता-लेखन, कहानी-लेखन, समाचार-लेखन आदि माध्यमों का प्रयोग अपनी रुचि के अनुसार भाषा अभिव्यक्ति-क्षमता को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं।

अतः भाषा की शुद्धता तथा अभिव्यक्ति-क्षमता के विकास के लिए प्रतिदिन सचेत होकर पुस्तक पढ़ने की आदत डालना, श्रुतलेख के द्वारा शब्द या वाक्य-लेखन अभ्यास करना तथा रचनात्मक-लेखन करना आवश्यक है।


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