हिंदी की बात करते ही अशुद्धियों की बात आ ही जाती है। स्कूल में अधिकतर बच्चे इन अशुद्धियों के शिकार होते हैं। कक्षा-कार्य व गृह-कार्य की नोटबुक हो अथवा परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं, सभी जगह अशुद्धियों की भरमार देखी जाती है। कई बार ऐसा होता है कि बच्चे सही उत्तर जानते हुए भी उसे ठीक तरह से लिख नहीं पाते। उनके उत्तर-लेखन में कई तरह की अशुद्धियां रह जाती हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि उन्हें मूल्यांकन में कम अंक भी दिए जाते हैं तथा वे प्रोत्साहन से भी वंचित रह जाते हैं।
जब हम इन अशुद्धियों की बात करते हैं तो पहला सवाल यह उठता है कि क्या आप अपनी इन अशुद्धियों से परेशान हैं? क्या आप अपनी इन अशुद्धियों को दूर करना चाहते हैं? क्या आपके मन में बिना गलती किए अच्छी हिंदी लिखने की इच्छा होती है? यदि इसका उत्तर हां है, तो नीचे लिखी गई बातों को ध्यान से पढ़ें तथा बताए गए नियमों का पालन व अभ्यास करें:-
हिंदी की कोई भी अच्छी पुस्तक प्रतिदिन पढ़ने की आदत डालें। इसकी शुरुआत आप अपनी पाठ्य-पुस्तक से कर सकते हैं। पुस्तक पढ़ते समय सचेत रहें तथा शब्दों को पढ़ते हुए उसकी बनावट को ध्यान से देखें। जो शब्द आपके लिए नए हों अथवा कठिन हों, उसे रेखांकित करें तथा उसे याद रखें। संभव हो तो उन शब्दों की एक सूची बना लें।
इसके अतिरिक्त आप श्रुतलेख का अभ्यास प्रतिदिन करें। श्रुतलेख का अभ्यास आप दो तरह से कर सकते हैं। शब्द-लेखन अभ्यास तथा अनुच्छेद-लेखन अभ्यास। श्रुतलेखन अभ्यास के लिए आप घर में किसी सदस्य की सहायता ले सकते हैं। उनसे शब्द अथवा अनुच्छेद पढ़ने के लिए कहिए, आप सुनकर उसे अपनी नोटबुक में लिखिए। लिख लेने के बाद आप स्वयं पुस्तक से उसका मिलान कीजिए तथा अपनी गलतियों को रेखांकित कीजिए। गलत लिखे गए शब्दों को पुस्तक से देखकर ठीक कीजिए तथा उसे याद रखिए।
अतः भाषा की शुद्धता तथा अभिव्यक्ति-क्षमता के विकास के लिए प्रतिदिन सचेत होकर पुस्तक पढ़ने की आदत डालना, श्रुतलेख के द्वारा शब्द या वाक्य-लेखन अभ्यास करना तथा रचनात्मक-लेखन करना आवश्यक है।
धन्यवाद सर
जवाब देंहटाएंThank you sir
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर आपकी इस मदद से मुझे आगे हिंदी को समझने और लिखने में अत्यधिक मदद मिलेगी।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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