शुक्रवार, 22 अगस्त 2025

पहलवान की ढोलक (फनीश्वरनाथ रेणु) कहानी से 15 महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 


  1. प्रश्न: लुट्टन पहलवान को 'पहलवान' की उपाधि कब और कैसे मिली?

उत्तर: लुट्टन को 'पहलवान' की उपाधि तब मिली जब उसने श्यामनगर के दंगल में चाँद सिंह जैसे प्रसिद्ध पहलवान को हरा दिया। चाँद सिंह की चुनौती स्वीकार करके उसने अपनी असाधारण शक्ति और आत्मविश्वास का परिचय दिया। इस जीत के बाद राजा साहब ने उसे 'पहलवान' की उपाधि से नवाजा और राज-पहलवान बना लिया।


  1. प्रश्न: लुट्टन की ढोलक उसके लिए केवल एक वाद्य यंत्र क्यों नहीं थी?

उत्तर: लुट्टन की ढोलक उसके लिए केवल एक वाद्य यंत्र नहीं थी, बल्कि वह उसकी प्रेरणा शक्ति, गुरु और संरक्षक थी। ढोलक की आवाज ही उसे दाँव-पेंच सिखाती थी, उसे लड़ने का उत्साह देती थी और संकट के समय सहारा बनती थी। यह ढोलक ही उसके जीवन का आधार और पहचान थी।


  1. प्रश्न: चाँद सिंह को हराने के बाद लुट्टन के जीवन में क्या बदलाव आया?

उत्तर: चाँद सिंह को हराने के बाद लुट्टन के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आया। उसे राज-पहलवान का पद मिल गया, जिससे उसका आर्थिक संकट दूर हो गया। उसे समाज में मान-सम्मान और प्रसिद्धि मिली। अब वह निश्चिंत होकर पहलवानी का अभ्यास करता और अपने बेटों को भी प्रशिक्षित करता।


  1. प्रश्न: राज दरबार में लुट्टन की स्थिति में परिवर्तन क्यों आया?

उत्तर: राज दरबार में लुट्टन की स्थिति में परिवर्तन इसलिए आया क्योंकि राजा का देहांत हो गया और नए राजकुमार ने गद्दी संभाली। नए राजकुमार को खेलकूद से अधिक घोड़े की रेस में रुचि थी और उन्होंने राज दरबार से पहलवानों को निकाल दिया। यह परिवर्तन आधुनिकता के प्रभाव और कला के प्रति बदलते दृष्टिकोण को दर्शाता है।


  1. प्रश्न: 'अकाल और महामारी' का गाँव के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: 'अकाल और महामारी' (प्लेग और हैजा) का गाँव के जीवन पर अत्यंत भयानक प्रभाव पड़ा। लोग भूख और बीमारी से मरने लगे। गाँवों में मृत्यु का सन्नाटा पसर गया, घरों से कराहने की आवाज़ें आनी बंद हो गईं और लोग एक-दूसरे की मदद करने की स्थिति में भी नहीं रहे। यह स्थिति भयावह और हृदयविदारक थी।


  1. प्रश्न: लुट्टन ने महामारी के समय गाँव वालों का हौसला कैसे बढ़ाया?

उत्तर: लुट्टन ने महामारी के समय अपनी ढोलक बजाकर गाँव वालों का हौसला बढ़ाया। जब लोग निराशा और मृत्यु के भय से घिरे थे, तब ढोलक की आवाज उन्हें जीने की प्रेरणा देती थी। वह ढोलक की विभिन्न आवाज़ों से दाँव-पेंचों का अनुकरण करता था, जिससे लोगों को लगता था कि कोई उनकी रक्षा कर रहा है।


  1. प्रश्न: लुट्टन की ढोलक की आवाज़ में गाँव वालों को क्या संदेश मिलता था?

उत्तर: लुट्टन की ढोलक की आवाज़ में गाँव वालों को जीवन जीने की प्रेरणा, मृत्यु पर विजय पाने का साहस और दुख सहने की शक्ति का संदेश मिलता था। ढोलक की 'धाक-धिना, तिरकिट-धिना' जैसी आवाजें उन्हें दाँव-पेंचों का स्मरण कराती थीं, जिससे वे निराशा में भी जूझने का हौसला पाते थे।


  1. प्रश्न: लुट्टन ने अपने बेटों को पहलवान बनाने के लिए क्या किया?

उत्तर: लुट्टन ने अपने बेटों को पहलवान बनाने के लिए अथक प्रयास किए। उसने उन्हें पहलवानी के दाँव-पेंच सिखाए, स्वयं उनके साथ अभ्यास किया और उन्हें हर प्रकार से शारीरिक व मानसिक रूप से तैयार किया। वह उन्हें अपनी विरासत सौंपना चाहता था, ताकि वे भी गाँव का नाम रोशन करें।


  1. प्रश्न: लुट्टन के बेटों की मृत्यु कैसे हुई?

उत्तर: लुट्टन के दोनों बेटों की मृत्यु भयानक महामारी (मलेरिया और हैजा) के कारण हुई। अकाल और बीमारी के कारण उन्हें सही पोषण और चिकित्सा नहीं मिल पाई, जिसके परिणामस्वरूप वे असमय काल के गाल में समा गए। यह लुट्टन के जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी थी।


  1. प्रश्न: कहानी में ढोलक किस बात का प्रतीक है?

उत्तर: कहानी में ढोलक लोक-कला, पारंपरिक जीवन-शैली, संघर्ष और मानवीय जिजीविषा का प्रतीक है। यह लुट्टन के जीवन का अभिन्न अंग होने के साथ-साथ गाँव की सांस्कृतिक पहचान और मुश्किल समय में लोगों को हिम्मत देने वाले एक साथी का भी प्रतीक है।


  1. प्रश्न: लुट्टन की ढोलक की आवाज और मृत्यु के बीच क्या संबंध है?

उत्तर: लुट्टन की ढोलक की आवाज और उसकी मृत्यु के बीच गहरा संबंध है। जिस रात उसकी ढोलक की आवाज बंद हो गई, उसी रात उसकी मृत्यु हो गई। यह दर्शाता है कि ढोलक ही उसके जीवन का प्राण थी। जब तक ढोलक बजी, उसमें जीवन रहा; ढोलक शांत होते ही उसने भी अंतिम सांस ली।


  1. प्रश्न: कहानी में चित्रित गाँव का परिवेश कैसा है?

उत्तर: कहानी में चित्रित गाँव का परिवेश पिछड़ा हुआ, गरीबी और अंधविश्वास से ग्रस्त है। यह गाँव प्रकृति की मार (अकाल) और बीमारियों (महामारी) से त्रस्त है। यहाँ लोग सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं, लेकिन आधुनिक सुविधाओं और चिकित्सा से वंचित हैं। यह ग्रामीण भारत की यथार्थवादी तस्वीर प्रस्तुत करता है।


  1. प्रश्न: कहानी में लुट्टन के चरित्र की विशेषताएँ बताइए।

उत्तर: लुट्टन के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ हैं: साहस, आत्म-विश्वास, संघर्षशीलता, परोपकारिता और जिजीविषा (जीने की प्रबल इच्छा)। वह विषम परिस्थितियों में भी हार नहीं मानता और दूसरों को भी प्रेरित करता है। वह एक लोक-कलाकार के रूप में अपनी कला और परंपरा से जुड़ा हुआ व्यक्ति है।


  1. प्रश्न: कहानी का शीर्षक "पहलवान की ढोलक" कितना सार्थक है?

उत्तर: कहानी का शीर्षक "पहलवान की ढोलक" अत्यंत सार्थक है। ढोलक केवल एक वाद्य यंत्र नहीं, बल्कि लुट्टन के पूरे जीवन का आधार है। उसकी पहचान, उसका संघर्ष, उसका उत्साह और अंततः उसका जीवन, सब ढोलक से ही जुड़े हुए हैं। ढोलक ही उसकी एकमात्र सहारा और उसके अस्तित्व का प्रतीक है।


  1. प्रश्न: कहानी में निहित केंद्रीय संदेश क्या है?

उत्तर: कहानी में निहित केंद्रीय संदेश यह है कि लोक-कलाएँ और कलाकार बदलते समय में उपेक्षा का शिकार हो जाते हैं। यह कहानी मानवीय संघर्ष, जिजीविषा और संकट के समय लोक-संस्कृति के महत्व को भी दर्शाती है। आधुनिकता के नाम पर पुरानी परंपराओं और कलाओं का तिरस्कार समाज के लिए हानिकारक हो सकता है।


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